भारी बारिश से बढ़ा बीमारियों का खतरा, लेप्टो जैसी बीमारियों से लोग ग्रसित, डॉक्टरों के यहां लगी लंबी-लंबी कतारें
Mumbai Monsoon: सैंट जॉर्ज अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉक्टर विनायक सवारदेकर ने के मुताबिक, मानसून की बीमारियों में इस साल अधिक मामले देखे गए हैं.
Mumbai Rain: मुंबई में भारी बारिश के बाद लोगों की दिक्कतें बढ़ गई हैं. मौसम के बदलते ही बीमारियों का सिलसिला भी शुरू हो गया है. भारी बारिश के बीच मुंबई में सर्दी बुखार, डेंगू, मलेरिया और लेप्टो की बीमारियों में इजाफा हुआ है. पिछले एक महीने में 249 लेप्टोस्पायरोसिस के मामले सामने आए हैं. इसके अलावा डेंगू के 406 और मलेरिया के 495 केस आए हैं हालांकि जुलाई 17 से 23 तक लेप्टो के 150 मामले दर्ज किए गए. वहीं डेंगू के 250 के करीब मामले आए. मानसून में बीमारियों से कैसे बचे..आइए आपको बताते हैं..
क्या है लेप्टोस्पायरोसिस
सैंट जॉर्ज अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉक्टर विनायक सवारदेकर ने बताया कि मानसून की बीमारियों में इस साल अधिक मामले देखे गए हैं. अधिकतर मरीज लेप्टो बीमारी से ग्रसित हैं. लेप्टो बीमारी गंदे पानी में घूमने से होती हैं. अधिकतर ऐसी जगहों पर जहां जलजमाव होता हैं वहीं लेप्टो की बीमारी फैलती हैं. लेप्टो बीमारी जानलेवा हैं. इसके लिए नागरिकों के लिए बीएमसी ने गाइडलाइंस भी जारी की है. लेप्टो बीमारी का जल्द उपचार होगा तब यह बीमारी जानलेवा नहीं होगी. वहीं डेंगू के मरीजों में भी बढ़ोतरी देखी गई है. लोगों से यही अपील है कि जब भी सर्दी बुखार या अन्य बीमारी के लक्षण हो तो तुरंत इनका इलाज कराएं.
डॉक्टर के यहां लगी लंबी कतारे
मुंबई के परेल विलेज के यशोदा क्लिनिक में डॉक्टर अमित कदम की अपॉइंटमेंट लेने कई मरीज कतार में बैठे हुए हैं. मानसून के मौसम में सर्दी बुखार जैसा वायरल होता है लेकिन इस साल लगातार बारिश होने के कारण मुंबई के क्लिनिक में भीड़ देखी जा सकती हैं. मरीजों ने बताया कि वह कुछ दिनों से सर्दी बुखार से पीड़ित है. यह बीमारी सभी में देखी जा सकती है. रीना अपनी बच्ची के साथ क्लिनिक दिखाने आई थी. रीना ने बताया कि बच्ची पिछले एक हफ्ते से सर्दी बुखार से पीड़ित है. ठीक नही हो रही हैं. डॉक्टर अमित कदम ने बताया कि एक दिन में 40 से 50 मरीज क्लिनिक में आते हैं जो सर्दी बुखार की शिकायत के साथ आते हैं. इस इलाके में लेप्टो के मामले कम हैं क्योंकि अधिकतर यहां जलभराव नहीं होता है, लेकिन जैसे ही मलेरिया या डेंगू के मरीज हमें मिलते हैं हम बीएमसी को इस बारे में जानकारी देते हैं.
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