Mumps Cases surge in Mumbai: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में पिछले एक माह में आए कण्ठमाला बीमारी (Mumps Disease) से पीड़ित 7 बच्चों के मामले ने चिंता और परेशानी बढ़ा दी है. इस बीमारी में बच्चों की सुनने की क्षमता में कमी आ जाती हैं. बीएमसी के अनुसार ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है. बच्चों के साथ-साथ अब इस बीमारी से पीड़ित 18 साल से ज्यादा के शख्स के मामले ने हंडकंप मचा दिया है.
डॉक्टरों का कहना है कि अधिकांश बच्चे वायरल संक्रमण के तीसरे दिन ही सुनने की क्षमता में कमी की शिकायत कर रहे हैं. एबीपी न्यूज़ ने इस मामले की ग्राउंड रिपोर्ट जानने की कोशिश की है. मुंबई के बीएमसी अस्पताल केम अस्पताल में पिछले 3 माह में 15 मामले मंप्स रोगियों के दर्ज किए गए.
हैरान करने वाली बात यह है कि इसमें से अकेले 7 मरीज एक महीने में रिपोर्ट हुए हैं. 7 में से 6 बच्चे इस मंप्स बीमारी से पीड़ित थे. हालांकि, यह सभी बच्चे गंभीर साइड इफेक्ट से पीड़ित हुए हैं. सुनने की क्षमता में कमी (Hearing Loss) होने की वजह से इन बच्चों की केम अस्पताल (KEM Hospital) में ईएनटी विभाग (Eyes, Nose & Throat Department) की तरफ से इलाज किया जा रहा हैं.
ईएनटी विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर मिलिंद नवलखे ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि यह बीमारी हर साल बच्चों में देखी जाती हैं. लेकिन इस साल मामलों में बढ़ोतरी हुई हैं. मरीजों में इसके गंभीर लक्षण भी देखे जा रहे हैं.
'वैक्सीन नहीं लेने वाले बच्चों में संक्रमण का खतरा ज्यादा'
साक्षात्कार के दौरान डॉ. मिलिंद ने बीमारी के बारे में पूरी जानकारी देते हुए बताया कि बचपन में बच्चों को 8 महीने से लेकर 4 से 5 वर्ष की उम्र तक खसरा कण्ठमाला और रूबेला टीका (Measles Mumps & Rubella vaccine) लगाया जाता है. यह वैक्सीन तीन डोज में रहती हैं. अगर यह वैक्सीन नहीं ली जाती है तो बच्चे आगे चल कर इस बीमारी से संक्रमित हो सकते हैं.
'कोविड की तरह संक्रमित बच्चों से अन्य को दूर रहने की जरूरत'
उन्होंने बताया कि शुरुआत के एक दो दिन में सर्दी, बुखार, और तीसरे दिन से लार ग्राथियों के साथ गले में सूजन आना संक्रमण के लक्षण हैं. यह सूजन कान पर असर डालती हैं जिस वजह से बच्चों की सुनने की क्षमता कम हो जाती हैं. उन्होंने कहा कि यह संक्रमण भी फैलता हैं. कोविड के वक्त जैसे बेहद ध्यान देना जरूरी था, उसी तरह से इस संक्रमण में भी संक्रमित बच्चों को अन्य बच्चों से दूर रहना अनिवार्य हैं.
'बीमारी के इलाज में देरी से जा सकती है सुनने की क्षमता'
डॉक्टर मिलिंद नवलखे के मुताबिक इस बीमारी का इलाज यह है कि जैसे ही माता-पिता/परिजनों को बच्चे के मंप्स से संक्रमित होने का पता चलता है तो उसको तुरंत अस्पताल में एडमिट करा दें. उसकी एंटीबायटिक दवाओं के साथ इलाज की शुरुआत की जाए. उनका कहना है कि अगर इलाज सही समय पर शुरू होगा तो मरीज की केवल अस्थायी तौर सुनने की क्षमता जायेगी.
लेकिन अगर इलाज में देरी की जाती है तो बच्चे की हमेशा के लिए एक कान या दोनों कानों से सुनने की क्षमता जा सकती है.
'बीमारी की चपेट में आए एक व्यस्क शख्स अस्पताल में भर्ती'
चौंकाने वाली बात यह है कि केम अस्पताल में एक व्यस्क शख्स भी इस बीमारी से ग्रस्त पाए गए हैं. उन्होंने वैक्सीन कि कितनी डोज ली थीं, उनको याद नहीं है. फिलहाल उनके सुनने की क्षमता कम हो चुकी हैं. हम कोशिश कर रहे हैं कि वह जल्द से जल्द ठीक हों.
'मरीज ने लगायी जल्द स्वस्थ होने की उम्मीद'
पीड़ित ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि उन्हे कुछ दिन पहले सर्दी बुखार हुआ और फिर उनके लार ग्रंथियां सूज गई. इसके बाद उनके गाल पर सूजन आ गयी. इसके बाद वह तुरंत अस्पताल में एडमिट हो गए. डॉक्टरों ने उनसे पूछा कि बचपन में MMR वैक्सीन ली थी कि नहीं. हालांकि उनके माता-पिता को इस बाबत अच्छी तरह से याद नहीं है. उन्होंने बताया कि उनकी सुनने की क्षमता चली गई हैं लेकिन डॉक्टरों से उनको जल्द ठीक होने की उम्मीद है.
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