पात्रा चॉल केस के बीच अपने घरों का इंतजार कर रहे 672 परिवार, MHADA के बाहर किया विरोध प्रदर्शन- 25 हजार रुपये रेंट की मांग
Patra Chawl Land Scam: पात्रा चॉल मामले में 672 परिवार ऐसे थे, जो अब तक अपने सपनों का घर बना नहीं सके हैं.
Protest Against Patra Chawl Land Scam: मुंबई के चर्चित पात्रा चॉल मामले में जमकर राजनीति हुई. संजय राउत (Sanjay Raut) को इस कारण जेल भी जाना पड़ा, लेकिन अब तक पात्रा चॉल के घरों के मालिकों के सिर पर छत तक नहीं आई है. इसी को लेकर आज (21 दिसंबर) महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी MHADA के दफ्तर के बाहर 672 परिवार के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया.
पात्रा चॉल के लोगों की मांग है कि साल 2018 से एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक उन्हें घरों तब तक रेंट मिले जब तक उनका घर नहीं बन जाता. उन्होंने जल्द से जल्द घर बनाकर दिए जाने की मांग की है. यह तय हुआ था कि सरकार की संस्था म्हाड़ा (महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) घर पुनर्विकास का काम करेगी और जब तक घर नहीं दिया जाता तब तक घर मालिकों को 25000 रुपये प्रति महीने रेंट दिया जाएगा.
करोड़ों का घोटाला
दरअसल, मुंबई उपनगर के गोरे गांव इलाके में पात्रा चॉल हुआ करता था. इन घरों को पुनर्विकास का काम एक एग्रीमेंट के तहत निजी बिल्डरों को मिला था, लेकिन बिल्डरों ने पुनर्विकास का काम नहीं किया और करोड़ों का घोटाला किया. इसी घोटाले से संबंधित एक मामले में संजय राउत को जेल जाना पड़ा था.
पात्रा चॉल केस क्या है?
स्कैम की शुरुआत साल 2007 में हुई थी. आरोप है कि महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डिवलपमेंट अथॉरिटी यानी MHADA के साथ प्रवीण राउत, गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन और हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की मिलीभगत से घोटाले को अंजाम दिया गया. ये कंपनी प्रवीण राउत की है. पात्रा चॉल में 3 हजार फ्लैट बनाए जाने थे, जिनमें से 672 फ्लैट चॉल के निवासियों को मिलने थे. वहीं, प्राइवेट बिल्डरों को जमीन बेचने का उन पर आरोप है.
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