मुंबईः क्राइम ब्रांच की यूनिट 5 ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो गैरकानूनी तरीके से लोगों की पर्सनल जानकारी निकालते थे. इस मामले में पुलिस ने अबतक सात प्राइवेट डिटेक्टीव्स को गिरफ्तार किया है. पुलिस की माने तो शैलेश मांजरेकर और राजेन्द्र साहू को मुम्बई के गोरेगांव इलाके से, सौरभ साहू और यासीन अंसारी को दिल्ली से, विष्णु दास गोस्वामी को उड़ीसा से तो योगीशा पुजारी और दिनेश विश्वकर्मा को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया है.
इसी मामले में मुम्बई की कॉस्मोपॉलिटन डिटेक्सटीव एजेंसी, दिल्ली की आल इंडिया डिटेक्टिव, ओरिसा की आरगुस स्पाय एंड कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, और कर्नाटक की सुपर डिटेक्टिव एजेंसी क्राइम ब्रांच की रडार पर है. क्राइम ब्रांच को एक जानकारी मिली थी कि एक ऐसी प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी है जो कि लोगों की अवैध तरीके पर्सनल जानकारी इकट्ठा करती है साथ ही उनके सीडीआर भी निकलवाकर देती है.
इसके बाद क्राइम ब्रांच की यूनिट 5 के वरिष्ठ पुलिस निरिक्षक जगदीश साइल ने एक टीम बनाई और फिर उस टीम में से एक शख्स ने मांजरेकर से संपर्क किया और कहा कि उसे उसके दोस्त की बीवी पर शक है जिसके लिए उसे उसके मोबाइल का सीडीआर निकलवाना है.
इस जानकारी के बाद मांजरेकर ने हामी भर दी, क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने फिर उसे कुछ पुराने सीडीआर दिखाने की बात कही और शनिवार के दिन मांजरेकर जब सीडीआर लेकर आया तो उसे क्राइम ब्रांच की टीम ने रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 34 और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की धारा 66, 72, 72 (अ) और टेलीग्राफ एक्ट की धारा 26 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
जगदीश साहिल ने बताया कि ये गैंग पूरे भारत मे एक्टिव है और बड़ी मात्रा में लोगों के पर्सनल डेटा जो कि सिर्फ जांच एजेंसियां ही निकाल सकती है उसे वे अवैध तरीके से अपने आर्थिक फायदे के लिए निकालते थे. जांच में यह भी पता चला है कि गिरफ्तार आरोपियों ने अबतक 300 के करीब लोगों के सीडीआर निकलवाये हैं. तो इनके लैपटॉप से 5 लाख से ज्यादा एसडीआर बरामद हुए हैं.
कौन कौन से मामलों की जांच करते है ये लोग?
क्राइम ब्रांच को जांच के दौरान पता चला कि यह लोग गर्लफ्रेंड का किसी दूसरे के साथ अफेयर का शक, शादी से पहले लड़की के चरित्र की जांच, शादी से पहले लड़के का चरित्र की जांच, या फिर बीवी के चरित्र पर शक जैसे मामलों की जांच करते थे. ये लोग एक एसडीआर निकालने के लिए 5 हजार रुपये तो एक सीडीआर के लिए 40 हजार रुपये तक कि मांग करते थे. ये प्राइवेट डिटेक्टिव एक केस की जांच के किये 50 हजार से 5 लाख रुपये तक कि मांग करते थे.
आरोपियों का इतिहास
- शैलेश मांजरेकर पर ठाणे क्राइम ब्रांच, मुंबई के यूनिट 9 और एंटी एक्टोर्शन सेल में मामला दर्ज है.
- राजेन्द्र साहू पेशे से एक ड्राइवर है और हर वक्त शैलेश के साथ रहता था.
- सौरभ साहू यह दिल्ली का रहने वाला है उसने सिर्फ 8 वी तक पढ़ाई की है और इस सरगना का मास्टरमाइंड बताया जाता है. इसपर भी तीन से ज्यादा मामले दर्ज हैं.
- यासिर अंसारी ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इस गैंग का सदस्य है, इसके खिलाफ दिल्ली पुलिस में एक मामला दर्ज है.
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