मुंबईः मुंबई पुलिस ने एक ऐसे रैकेट का पर्दाफाश किया है जो लॉकडाउन के दौरान यात्रा करने वाले जरूरतमंद लोगों को फर्जी पास देकर उनसे ठगी करता था. इस मामले में मुम्बई पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार यह गिरोह एक पास बनाने की एवज में 5000 रुपये लिया करता था.


लॉकडाउन के दौरान अटके मजदूरों और लोगों को घर भेजने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने जिलाधिकारी और पुलिस को पास बनाने का अधिकार दिया है. लॉकडाउन की वजह से फंसे लोगों और मेडीकल इमरजेंसी होने पर पुलिस और प्रशासन की तरफ से पास बनाया जा रहा है, लेकिन कुछ लोग इसका फायदा उठाकर न सिर्फ फर्जी पास बना रहे हैं, बल्कि उसके जरिए लोगों से हजारों रुपये की ठगी कर रहे हैं. जानकारी मिलते ही मुम्बई पुलिस ने डोंगरी पर छापा मारा और फर्जी पास बना रहे गिरोह का पर्दाफाश करते हुए एक आरोपी मनोज हुम्बे को गिरफ्तार कर लिया. जबकिं उसका दूसरा जोड़ीदार फरार है.


मुंबई पुलिस के डीसीपी संग्राम सिंह निशानदार के मुताबिक़ 'ये गिरोह उन लोगों से संपर्क करता जिन्होंने पुलिस से पास के लिए ऐप्लिकेशन किया है और जो पास के लिए इतनी बड़ी रक़म दे सकते हैं. फिर नक़ली पास बनाकर ये पैसे लेते. कई लोगों से इन्होंने पैसे भी लिए और पास भी नहीं दिया है. इस गिरोह के लोग मुंबई के बाहर भी मौजूद है. हम उनकी तलाश कर रहे है.'


पुलिस की माने तो उन्हें अपने सूत्रों से यह जानकारी मिली कि चेम्बूर इलाके में कुछ लोग यात्रा का फर्जी पास बनाकर लोगों से पैसे ठग रहे हैं. पुलिस ने इस जानकारी की छानबीन की और पता चला कि दो लोग मिलकर इस तरह के अवैध कार्य को अंजाम दे रहे हैं. गिरफ्तार किए गए आरोपी से पूछताछ में यह जानकारी सामने आई है कि अब तक वह 147 फर्जी पास बना चुके हैं और एक पास के बदले 5000 से 10000 रुपये लोगों से लेते थे. एक सप्ताह पहले ही उन्होंने ये काम शुरू किया था.


इस मामले में फिलहाल पुलिस दूसरे आरोपियों की तलाश कर रही है. पुलिस लोगों से यह अपील कर रही है कि इस तरह से फर्जी पास बनाने के बजाय सही तरीके से लोग पास के लिए आवेदन करें.


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