मुंबई: महाराष्ट्र में वसूली कांड में परमबीर सिंह के आरोपों के बाद अनिल देशमुख के इस्तीफे के बाद लग रहा था कि यह मामला कुछ दिन ठंडे बस्ते में रहेगा. लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. मुंबई पुलिस के कमिश्नर हेमंत नगराले ने गृह विभाग को एक पांच पन्नों की रिपोर्ट भेजी है. इस रिपोर्ट में पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह पर सचिन वाहे को शह देने का आरोप लगाया है.
कमिश्नर हेमंत नगराले ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि उस वक्त पुलिस कमिश्नर रहे परमबीर सिंह के मौखिक निर्देश पर सचिन वाजे की नियुक्ति क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में हुई थी. वाझे कई वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार कर सीधे परमबीर सिंह को रिपोर्ट कर रहा था. कमिश्नर हेमंत नगराले की रिपोर्ट के बाद पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं. इसके साथ ही एक और बड़ा सवाल सामने आया है कि आखिर सचिन वाजे का गॉड फादर कौन था?
जानिए कमिश्नर हेमंत नगराले की रिपोर्ट से जुड़ी 10 बड़ी बातें
- गृहविभाग को मुंबई पुलिस की एक रिपोर्ट दी गई है जिसके मुताबिक एपीआई सचिन वाजे सीधे मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के मातहत काम कर रहा था. वाज़े क्राइम ब्रांच के किसी भी बड़े अफसर को रिपोर्ट नहीं करता था.
- 5 पन्नों की इस रेपोर्ट में सचिन वाज़े की फिर से सेवा में नियुक्ति से लेकर 9 महीने तक की पूरी जानकारी दी गई है.
- इस रिपोर्ट में सबसे बड़ी बात है कि सचिन वाज़े को 8 जून 2020 को मुंबई पुलिस के LA यानी आर्म्ड फोर्स में नियुक्ति की गई. सचिन वाज़े की नियुक्ति का फैसला तत्कालीन मुंबई पुलिस आयुक्त, सह पुलिस आयुक्त ( एडमिन) अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ( LA ) और मंत्रालय डीसीपी ने लिया था. ये नॉन एग्जेक्युटिव पोस्टिंग थी जो अमूमन निलंबित अफसरों की फिर से नियुक्ति के बाद दी जाती है.
- इसके बाद सचिन वाज़े के लिए 8 जून 2020 को ही पुलिस अस्थापना मंडल की बैठक हुई. इस बैठक में सचिन वाजे को मुंबई क्राइम ब्रांच में लेने का आदेश पारित कर दिया गया. 9 जून 2020 को ही तत्कालीन ज्वाइंट सीपी क्राइम ने वाजे क्रिमिनल इंटेलिजेंस यूनिट में पोस्टिंग दिखा दी.
- रिपोर्ट में लिखा है कि मुंबई पुलिस आयुक्त के मौखिक आदेश पर तबके ज्वाइंट कमिश्नर क्राइम ने CIU में कार्यरत पुलिस निरीक्षक विनय घोरपड़े और सुधाकर देशमुख का वहां से तबादला कर दूसरी जगह भेज दिया गया.
- तत्कालीन ज्वाइंट सीपी ने इस पोस्टिंग का विरोध किया था. मुंबई पुलिस रिपोर्ट में इस बात का खास उल्लेख किया गया है कि तबके ज्वाइंट कमिश्नर क्राइम ने सचिन वाजे की CIU में नियुक्ति का विरोध किया था. लेकिन मुंबई पुलिस आयुक्त के दबाव में उन्होंने वाजे की CIU में नियुक्ति के आदेश पर ना चाहते हुए भी सही किया. (गौरतलब है कि मुंबई पुलिस आयुक्त का 25 / 5 / 2020 का एक आदेश है जिसमें कहा गया है कि क्राइम ब्रांच यूनिट में इंचार्ज और PI स्तर के अधिकारी की नियुक्ति मुंबई पुलिस आयुक्त की सहमति से ही की जा सकती है.)
- मुंबई पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक CIU इंचार्ज की पोस्ट पीआई की होने के बावजूद एपीआई सचिन को दी गई और ऐसा मुंबई पुलिस आयुक्त के मौखिक आदेश के बाद किया गया.
- रिपोर्ट में ये भी साफ किया गया है कि क्राइम ब्रांच में रिपोर्टिंग सिस्टम के तहत जांच अधिकारी यूनिट इंचार्ज को रिपोर्ट करता है. उसके बाद जांच अधिकारी के साथ यूनिट इंचार्ज एसीपी को फिर डीसीपी को, एडिशनल सीपी को और फिर ज्वाइंट सीपी को. लेकिन एपीआई सचिन वाजे इन सबको बाईपास कर सीधे मुंबई पुलिस आयुक्त को रिपोर्ट करता था और उन्ही के निर्देश पर काम करता था. किस पर कार्रवाई करनी है कहां छापा मारना है ? किसे गिरफ्तार करना है और किसे गवाह बनाना है सब निर्देश वो सीधे मुंबई पुलिस आयुक्त से लेता था.
- सचिन वाज़े ने अपने मातहत अफसरों को भी सख्त हिदायत दे रखी थी कि वो क्राइम ब्रांच के बड़े अफसरों को कभी रिपोर्ट ना करें. सचिन वाज़े खुद भी कभी क्राइम ब्रांच के अफसरों को रिपोर्ट नहीं करता था. सिर्फ पूछने पर कभी कभार इंफॉर्मली मिलकर जानकारी देता था.
- इतना ही नही बड़े आपराधिक मामलों में सचिन वाजे खुद मुंबई पुलिस आयुक्त की ब्रीफिंग में उपस्थित रहता था और बाद में क्राइम ब्रांच के बड़े अफसरों को सूचित करता था. एपीआई सचिन वाजे को 9 महीने के कार्यालय में 17 बड़े केस दिये गए थे.
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