मुंबई पुलिस की ड्रग तस्करों पर नकेल, नए-नए कोड वर्ड्स का किया खुलासा
नए साल को देखते हुए मुंबई पुलिस ने शहर में होने वाली पार्टियों को ड्रग्स से बचाने के लिए ड्रग्स पेडलर्स पर काफी हद तक नकेल कसना शुरू कर दिया है. ड्रग्स तस्करों पर अंकुश लगाने के लिए सोशल मीडिया पर भी नजर बनायी जा रही है.
मुंबई: नए साल के मद्दे नजर मुंबई पुलिस ने मुंबई में होने वाली पार्टियों को ड्रग्स से बचाने के लिए ड्रग्स पेडलर्स पर काफी हद तक नकेल कसी हुई है. पहले पुलिस ड्रग्स तस्करों को पकड़ने के लिए ह्यूमन इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करती थी तो अब ड्रग्स तस्करों पर अंकुश लगाने के लिए सोशल मीडिया पर भी नजर बनाए हुए है.
मुंबई पुलिस के जॉइंट कमिश्नर मिलिंद भराम्बे की माने तो पिछले तीन महीने में क्राइम ब्रांच ने लगभग 10 करोड़ रुपये के ड्रग्स पकड़े हैं. जिसमे हीरोइन, MDMA, चरस, अम्फेटामाइन, एलएसडी जैसे कई ड्रग्स का समावेश है. पुलिस ने बताया कि ड्रग्स तस्कर पहले की तरह अब फोन का इस्तेमाल नहीं करते अब एजेंसियों से बचने के लिए आधुनिक युग के अनुसार सोशल मीडिया, नए नए एप्लिकेशन, का इस्तेमाल कर रहे हैं.
लॉकडाउन के समय मुंबई से बाहर और अंदर आने के लिए सिर्फ उन्ही गाड़ियों को अनुमति थी जो कि अत्यावश्यक सर्विस में आती हों या फिर जिसे पुलिस की तरफ से इजाजत मिली हो. पुलिस की माने तो उनकी जांच में पता चला कि ड्रग्स तस्कर ह्यूमन चैन का इस्तेमाल ड्रग्स की तस्करी के लिए कर रहे हैं.
ड्रग्स कोई एक शख्स मुंबई में नहीं लाता. एक बार में ड्रग्स के खेप मुंबई लाने के लिए 5 से 7 बार आदमी और गाड़ियां बदली जाती है. जिससे जांच एजेंसियों को उन पर शक ना हो.
क्या है ड्रग्स के कोड वर्ड्स--
बदलते जमाने के साथ तस्करों ने ड्रग्स के नाम भी बदल दिया
एक मीटर कपड़ा यानी एक किलो MDMA
दो मीटर कपड़ा यानी दो किलो MDMA
छोटे ग्राहक MDMA को हैप्पी पिल्स के नाम से संबोधित करते हैं
एक पॉट यानी एक किलो गांजा
एक चिबा यानी एक किलो चरस
स्मैक यानी हीरोइन
जादू की पुड़िया भी हीरोइन को बोला जाता है
एम्फेटामाइन को आइस नाम से जाना जाता है
चरस को क्रीम नाम दिया गया है
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