मुंबई: सोशल मीडिया पर सबको चाहत होती है फॉलोअर्स ज्यादा हो, लाइक ज्यादा मिले, सब्सक्राइब मिले. यह चाहत ग्लैमर की दुनिया के लोगों और राजनीतिक दलों में और ज्यादा होती है. सोशल मीडिया की इसी भूख को मिटाने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल होता है. कुछ तरीके कानूनी तौर पर सही होते हैं तो एक नया तरीका कानून को ताक पर रखकर इस्तेमाल हो रहा है जिसमें बोट्स का इस्तेमाल करके लाइक शेयर और फॉलोवर कमाए जा रहे हैं. ऐसी फर्जी कंपनियां बनाई जा रही है जो अपने कस्टमर को लाइक शेयर फॉलो ला कर देती है. जिसके लिए फर्जी बोट्स बनाए जाते हैं. इन बॉट्स के जरिए अकाउंट हैंडल किए जाते हैं.


इस फर्जी लाइक शेयर सब्सक्राइब की दुकानदारी का खुलासा मुंबई में हुआ है. मुंबई पुलिस के हत्थे एक रैकेट हाथ लगा है जिसकी कड़ियां मुंबई के सिनेमा जगत के बड़े लोगों से जुड़ी है. इसी कड़ी में मशहूर रैपर बादशाह को मुंबई पुलिस ने बुलाया है पूछताछ की. एबीपी न्यूज़ ने बादशाह से संपर्क करके उनकी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की तो कोई जवाब नहीं मिला. इस मामले में महाराष्ट्र के गृहमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि इस फर्जीवाड़े की महाराष्ट्र पुलिस जांच करेगी क्योंकि इसका इस्तेमाल झूठ फैलाने और ट्रोलिंग के लिए भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.


सामान्यता ऐसा होता है कि जिस के जितने फॉलोवर होते हैं जितने ज्यादा लाइक होते हैं उस हिसाब से सोशल मीडिया पर विज्ञापन के उनको उतने पैसे मिलते हैं. ऐसे में जब फर्जी बॉट्स का इस्तेमाल करके लोग अपने फॉलोअर्स बढ़ाते हैं. और फिर विज्ञापन दाता से धोखा करते ही हैं साथ ही अपने फॉलोवर्स के साथ भी धोखा करते हैं. जो उनको जानने सुनने समझने देखने के लिए उनसे जुड़ता है. ऐसे में उनके ऊपर आईटी एक्ट 2000 की सेक्शन 66c या सेक्शन 66d के तहत कार्यवाही हो सकती है. 3 साल तक कि सजा भी हो सकती है.



बोट्स क्या है


सोशल मीडिया की दुनिया कमाल की है. वास्तविक दुनिया से अलग यह दुनिया जहां बड़े पैमाने पर आज लोग अपने जिंदगी में दिन का बड़ा हिस्सा गुजारते हैं. अपनी सूचनाएं शेयर करते हैं इसका खुद का एक बड़ा मार्केट भी है. इस मार्केट में लाइक शेयर और सब्सक्राइब की खरीद-फरोख्त भी शुरू हो गई है. बड़े पैमाने पर अब सोशल मीडिया में लाइक शेयर सब्सक्राइब की खरीद-फरोख्त में अनइथिकल विलियम्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसी का खुलासा मुंबई पुलिस ने किया है और बड़े पैमाने पर इसकी तफ्तीश हो रही है. एबीपी न्यूज़ ने समझने की कोशिश की आखिर बोट्स क्या है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जो पर्सनैलिटी पब्लिक फिगर होते हैं, एक्टर्स होते हैं, पॉलिटिकल प्रसन्न होते हैं इनके जो फॉलोअर्स होते हैं लाइक होते हैं शेर होते हैं लाखों की तादाद में होते हैं. इसमें काफी असली होते हैं ऑर्गेनिक होते हैं. वहीं इसमें कई सारे ऐसे भी होते हैं जिनके फेक फॉलोअर्स होते हैं. कैसे मुमकिन होता है काफी सारे पर्सनैलिटी पब्लिक फिगर पॉलिटिकल पार्टी सेवा खरीदते हैं.


ऐसी कई कंपनियां हैं जो नियमित तौर पर भी डिजिटल मार्केटिंग करके फॉलोअर्स बढ़ाती हैं. आपके फॉलोअर्स लाइक बढ़ाने के लिए बोट्स का इस्तेमाल करते हैं. यह रोबोट से आजाद हुआ है. यह साइबर का शब्द है. इस काम को काफी सारे कंप्यूटर ऑटोमेटिक तौर पर करते हैं. कोई इंसान का इंटरफेरेंस नहीं होता है. ऑटोमेटिक तरीके से काम होता है और कई सारे सरवर और कंप्यूटर लगाए जाते हैं. कई सारे कंप्यूटर ऑटोमेटिक अकाउंट जनरेट करके इनके अकाउंट को पॉपुलर देते हैं.


डिजिटल मार्केटिंग में यह एथिकल तरीके से भी होता है पर बड़े पैमाने पर पब्लिक फिगर पॉलिटिकल फिगर के ऐसे भी अकाउंट है जो रेट सर्विस करते हैं. लाइक्स फॉलोवर्स बढ़ाने के लिए बोट्स के जरिए किया जाता है. यह काफी पॉपुलर भी है आजकल.


कैसे तय कर सकते हैं सही है कि किस का अकाउंट ओरिजिनल है. जब भी हम व्हाट्सएप के अकाउंट में घुसते हैं तो गतिविधियां पता करती हैं. इसमें ट्यूब एक्टिविटी नहीं होती. वन वे एक्टिविटी होती है. व्हाट्सएप अकाउंट की जब जांच करते हैं तो मालूम चलता है कि उसकी कोई भी सूचना नहीं होती. यह बॉक्स केवल एक व्यक्ति को फॉलो करते हैं उसी के लायक बढ़ाते हैं. उसी को शेयर करते हैं ऑटोमेटिक प्रोसेस है. पेड सर्विस के जरिए हायर की जा सकती है. पॉपुलर करने के लिए काफी सारे तिकड़म आजमाते हैं इसे इस्तेमाल करने में.


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