मुंबई: मुंबई पुलिस ने अब तक आठ ऐसे लोगों की जान बचाई है जो लोग किसी न किसी वजह से डिप्रेशन में थे और सुसाइड करने की सोच रहे थे. इन लोगों ने सुसाइड की बात को सोशल मीडया पर पोस्ट की थी. पिछले दो दिनों में मुंबई साइबर पुलिस ने दो लोगों की जान बचाई है. साइबर पुलिस की डीसीपी डॉक्टर रश्मि करंदीकर ने बताया कि कल शाम करीब साढ़े नौ बजे एक व्यक्ति ने शिवाजी पार्क पुलिस को जानकारी दी थी कि एक लड़का आत्महत्या करने की बात फेसबुक पर कर रहा है. इसके बाद शिवाजी पार्क पुलिस ने इसकी बात की जानकारी साइबर पुलिस के साथ साझा की.
इसके बाद पुलिस ने फेसबुक की मदद मांगी और फेसबुक की मदद से उसकी लोकेशन ढूंढी जो कि मालाड इलाके की थी. फिर रात को करीब 11 बजे दूसरी टीम मालाड के लिए रवाना हो गयी और करीब साढ़े ग्यारह बजे तक उस लड़के को बचा लिया गया.
करंदीकर ने बताया कि वह 21 साल का लड़का है और सौतेली मां से वह परेशान था. लड़के ने पुलिस को बताया कि उसके पिता ने 55 साल की उम्र में दूसरी शादी की और उसकी सौतेली मां ने उसके घर के सारे कागजात और समान ले लिए हैं जिसे पाने के लिए वह हर किसी की मदद मांग रहा था.
मंगलवार के दिन वह ज्यादा डिप्रेशन में चला गया और उसके मन मे आत्महत्या करने का खयाल आने लगा. उस व्यक्ति ने फिर इस बात को फेसबुक पर शेयर किया जिसे पढ़ने के बाद उसके फेसबुक फ्रेंड ने इस बात की जानकारी शिवाजी पार्क पुलिस को दी.
करंदीकर ने बताया कि सोमवार के दिन मुम्बई पुलिस कंट्रोल ने ट्विटर पर एक ट्वीट देखा जिसमें एक लड़के ने आत्महत्या की बात कही थी. इसके बाद पुलिस कंट्रोल रूम ने इसकी जानकारी साइबर पुलिस के साथ साझा की. फिर साइबर पुलिस ने ट्विटर की मदज ली. ट्विटर ने तुरंत ही उस लड़के की लोकेशन निकाली जो कि औरंगाबाद की थी.
इसके बाद करंदीकर ने इस बात की जानकारी औरंगाबाद एसपी के साथ साझा की. उन्हें उस लड़के की लोकेशन बताई और फिर वहां के एसपी ने लोकल पुलिस की एक टीम को उसके घर तुरंत ही रवाना कर दिया और कुछ ही घंटों में उस टीम ने उसकी जान बचा ली. पुलिस ने जब उस लड़के से उसके इस कदम के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह 12वीं कक्षा में पढ़ाई करता है और पढ़ाई के सिलेबस के चलते डिप्रेशन में था.
मुम्बई पुलिस की सलाह
रश्मि करंदीकर में लोगों को सुझाव देते हुए कहा है कि अगर उन्हें कभी डिप्रेशन जैसा लगता है तो उन्हें इस बारे में अपने परिवार वालों से या फिर नजदीकी दोस्तों से चर्चा करनी चाहिए. उन्हें तुरंत ही डॉक्टरों की मदद लेनी चाहिए.
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