मुंबई: सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले की तहकीकात इस वक्त देश के दो पुलिस महकमे कर रहे हैं लेकिन इन दोनों के बीच कई सारे मतभेद हैं. इन्हीं मतभेदों की वजह से मुंबई पहुंची पटना पुलिस की टीम को सहयोग नहीं मिल रहा है. मतभेद सिर्फ दो पुलिस महकमों का ही नहीं है बल्कि दोनों राज्यों की सरकारों का भी है. यही वजह है कि जब पटना पुलिस के अधीक्षक विनय तिवारी मुम्बई पहुंचे तो कोरोना के बहाने उन्हें क्वारंटाइन कर दिया गया.


सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी की जांच करने के लिए पटना से मुंबई आए पुलिस अधिकारियों को ऑटो रिक्शा से एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ रहा है. शुरुआत में इन्हें सुशांत सिंह के पारिवारिक मित्र नीलोत्पल ने अपनी गाड़ी उपलब्ध कराई थी लेकिन जब इस बात को लेकर एतराज जताया गया कि पुलिस की टीम अपनी जांच के लिए किसी की निजी गाड़ी का इस्तेमाल कैसे कर सकती है तो फिर अधिकारी ऑटो रिक्शा में घूमने के लिए मजबूर हो गए. मुंबई पुलिस से इन्हें कोई सहयोग मिलता नहीं दिखा .ऐसा लग रहा है मानव मुंबई पुलिस इन्हें बिन बुलाया मेहमान मान रही.




हालांकि दोनों पुलिस महकमों के बीच का ये मसला ऑन रिकॉर्ड नहीं आया है लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि पटना पुलिस को मुंबई पुलिस से सहयोग नहीं मिल रहा. मुंबई पुलिस ना तो इन्हें कोई लॉजिस्टिकल सपोर्ट दे रही है और ना ही मुंबई में जांच के लिए एक ठिकाने से दूसरे ठिकाने जाने के लिए किसी तरह का एस्कॉर्ट.

जब मुंबई पुलिस के पास पटना पुलिस पहले दिन पहुंची तो उसे एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर भटकना पड़ा. पटना पुलिस को ये कहा गया कि दूसरे राज्यों से सहयोग की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच की है. आप क्राइम ब्रांच में जाइए. क्राइम ब्रांच के दफ्तर में भी पटना पुलिस को घंटों इंतजार करना पड़ा. इसके बावजूद पटना पुलिस को जो दस्तावेज और जो सबूत चाहिए थे वे मुंबई पुलिस से नहीं मिल पाए हैं. अनौपचारिक तौर पर मुंबई पुलिस के अधिकारी पटना पुलिस की ओर से इस मामले की जांच को गलत मान रहे हैं.


कुछ कानूनी जानकारों की भी यही राय है कि अगर पटना पुलिस ने शिकायत ली भी ली थी तो कानूनन उसे जीरो नंबर की FIR मानकर मुंबई पुलिस को ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए था लेकिन पटना पुलिस ने ऐसा नहीं किया और खुद ही जांच में जुट गई.

पटना पुलिस और मुंबई पुलिस की जांच में फर्क ये हैं कि पटना पुलिस ने इस मामले में एफ आई आर दर्ज की है जबकि मुंबई पुलिस ने एडीआर को दर्ज किया है. एडीआर मतलब एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट. जब भी कोई शख्स खुदकुशी करता है तो सबसे पहले पुलिस एडीआर दर्ज करके ही अपनी तहकीकात शुरू करती है. एक ओर जहां पटना पुलिस ने सुशांत सिंह राजपूत के रिया चक्रवर्ती के साथ निजी रिश्तों को लेकर चक्रवर्ती को आरोपी बनाया है और उनके बीच के आर्थिक लेनदेन की पड़ताल कर रही है तो वही मुंबई पुलिस इस दिशा में जांच कर रही है कि क्या सुशांत सिंह राजपूत फिल्म इंडस्ट्री में चल रहे भाई भतीजावाद और गैंग बाजी के शिकार हुए हैं जिससे उन्हें डिप्रेशन हो गया और उन्होंने आत्महत्या कर ली.


वैसे ये लड़ाई सिर्फ दो पुलिस महकमे की नहीं है. ये लड़ाई दो सरकारों के बीच की भी है. बिहार के सत्ताधारी राजनेता चाहते हैं इस मामले की सीबीआई जांच हो तो वहीं महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि मुंबई पुलिस इस मामले की जांच में सक्षम है और सीबीआई को नहीं सौंपा जाएगा.


महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टी बीजेपी भी ठाकरे सरकार पर दबाव बना रही है कि मामले को सीबीआई को सौंप दिया जाना चाहिए. वैसे मामला अब सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंच गया है. इस मामले में बिहार पुलिस की ओर से आरोपी बनाई गई रिया चक्रवर्ती ने सुप्रीम कोर्ट से दरखास्त की है कि मामले की जांच मुंबई में ही हो. अब इस तहकीकात की आगे की दिशा सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा.


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