मुबई: भले ही देश की कोरोना कैपिटल मुंबई बन गई हो लेकिन ये भारत की फाईनेंशियल कैपिटल भी है और देश की अर्थवय्वस्था के चलने के लिये मुंबई का चलना जरूरी है. कोरोना ने मुंबई को पहले से ठप कर रखा है लेकिन आने वाले वक्त में सरकार अगर ढील देती है तो मुंबई को शुरू करने में एक और बडी अड़चन आएगी. ये अड़चन है मानसून की. हर साल भारी बारिश कई बार मुंबई को ठप कर देती है.


'भारी बारिश से मुंबई ठप हो गई है', 'सडकों पर ट्रैफिक जाम लगा हुआ है', 'लोकल ट्रेन नहीं चल रहीं है' - हर साल मुंबई में जून के दूसरे हफ्ते से अगले 4 महीनों तक ऐसी खबरें आने लग जातीं हैं. इस बार कोरोना की वजह से मुंबई पहले से ही ठप है. मुंबई में लॉकडाऊन 30 जून तक के लिये बढ़ा दिया गया है. उसके बाद मुंबई शहर बारिश से न ठप हो इसलिये तैयारियां हो रहीं है.


मानसून के दौरान होने वाली तबाही की तस्वीरें हर साल मुंबई से आतीं हैं. शहर के तमाम इलाकों में भारी बारिश की वजह से पानी भर जाता है. सडकें नदियों की शक्ल ले लेतीं हैं और ट्रैफिक थम सा जाता है. बीएमसी के मानसून पूर्व तैयारियों के तमाम दावे झूठे साबित होते हैं. पूरे मानसून के दौरान 3 से 4 मौके ऐसे आते हैं जब मुंबई में हर तरफ त्राहित्राहि मच जाती है. कम से कम जून में इस बार ऐसा सूरत ए हाल नहीं होगा. लॉकडाऊन की वजह से कई सारे दफ्तर, दुकानें, सिनेमा हॉल, स्कूल-कॉलेज वगैरह बंद रहने वाले हैं. सडकों पर वाहनों की आवाजाही कम है और इसी का फायदा उठाकर मानसून पूर्व तैयारियों का काम जोरशोर से चल रहा है. मुंबई में छोटे नालों की सफाई का काम 39 फीसदी पूरा हो गया है. बड़े नाले 67 फीसदी तक साफ किये जा चुकै हैं जबकि मुंबई में बाढ़ का कारण बनने वाली मीठी नदी की सफाई का काम 61 फीसदी तक पूरा हुआ है. मुंबई महानगरपालिका का कहना है कि मानसून के शहर में दस्तक देने तक तैयारी पूरी हो जायेगी.


लोकल ट्रेनों को मुंबई की लाईफ लाईन कहा जाता है और हर साल भारी बारिश की वजह से ये लोकल ट्रेनें ठप हो जातीं हैं. दरअसल पटरियों के बगल के नाले जब ओवरफ्लो होने लगते हैं तो पानी पटरियों पर आ जाता है और ट्रेनें रूक जातीं हैं. अब सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे इन नालों की सफाई का काम कर रही है. मुंबई की लोकल ट्रेनों से रोजाना 75 लाख लोग सफर करते हैं. शहर में लोकल ट्रेनों की तीन लाईनें हैं सेंट्रल रेल्वे की मेन और हार्बर लाईन और वेस्टर्न रेलवे लाईन. हर साल मानसून में 3 से 4 ऐसे मौके आते हैं जब ये लोकल ट्रेनें ठप हो जातीं हैं. हालांकि लोकल ट्रेनों के जल्द शुरू होने की गुंजाइश तो नहीं है लेकिन दूसरे शहरों को जोडने वाली मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों ने चलना शुरू कर दिया है. इसी बात के मद्देनजर रेलवे की ओर से व्यापक तैयारियां की जा रहीं है. अब तक 90 किलोमीटर तक के रेल पटरियों से सटे नाले साफ किये जा चुके हैं, उनसे मलबा और कीचड़ निकाला जा चुका है. कई जगहों पर जलजमाव खत्म करने के लिये डीजल और इलेक्ट्रिक के पंप लगाये जा रहे हैं.


चाहे पटरियों के किनारे नालों की सफाई हो या फिर सडक की मरम्मत, एक समस्या सभी ठेकेदारों को आ रही है, वो है मजदूरों की. मुंबई से बडे पैमाने पर श्रमिक वर्ग के लोग ट्रेनों, ट्रकों में लदकर या फिर पैदल ही अपने अपने गृहराज्य निकल गये हैं. ऐसे में काम को पूरे करने के लिये हाथ ही नहीं मिल रहे. मुंबई की महापौरी किशोरी पेडणेकर का कहना है कि मजदूरों की कमी के बावजूद सड़कों के गड्ढे भरने और मरम्मत का काम बडी हद तक पूरा हो गया है.


करीब 2 करोड़ की आबादी वाला शहर पहले ही कोरोना की मार झेल रहा है. क्या हर साल की तरह ये मौसम की मार भी झेलेगा या फिर प्रशासन ने पर्याप्त ऐहतियाती इंतजाम किये हैं इसका अंदाजा बस आने वाले 10 दिनों में ही हो जायेगा जब मानसून की पहली झडी मुंबई में दस्तक देगी.


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