मुंबई: भारत में कोरोना के मामले अब और ज्यादा तेज रफ्तार से बढ़ रहे हैं. इस रफ्तार के बीच लोगों की टेस्टिंग के लिए तमाम तकनीकी उपलब्ध है. जिसमें एक तकनीक एंटीजन टेस्ट है. ये जब बाजार में आई तो चर्चा हुई कि इसकी जल्द रिपोर्ट के चलते कोरोना वायरस को कंट्रोल में सहूलियत होगी.
वहीं एंटीजन टेस्टिंग से आने वाली रिपोर्ट मुंबई में संशय का कारण बनी हुई है. तमाम ऐसे मामले सामने आए हैं जहां एंटीजन टेस्ट पॉजिटिव निगेटिव के फेर में खड़ा कर रहा है. दरअसल, कोरोना टेस्टिंग की सामान्यतः तीन तकनीक प्रचलन में है. आरटीपीसीआर, एंटीजन, एंटीबॉडी टेस्ट. शुरुआत में आरटीपीसीआर तकनीक का ही प्रयोग था. बाद में एंटीजन तकनीक प्रचलन में आने लगी क्योंकि इसमें टेस्ट के कुछ घंटों में ही परिणाम सामने आ जाते हैं.
मुंबई में अब तमाम ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां टेस्ट की रिपोर्ट इस बीमारी के कंट्रोल में मदद करने की बजाय और चुनौती खड़ी कर रही है. मीडिया रिपोर्ट में बीएमसी की तरफ से एंटीजन टेस्टिंग के आंकड़े जारी हुए हैं जिसमें बताया गया है कि नायर अस्पताल में 538 लोग जिनकी एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव आई थी बाद में आरटीपीसीआर टेस्ट के इसमें से 60 फीसदी लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.
इसके अलावा कस्तूरबा अस्पताल में भी ऐसे ही मामले सामने आए. बीएमसी ने कुल मुंबई में जितने सैंपल लिए जिसमें एंटीजन टेस्ट में जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई उसमें से 60 फीसदी से ज्यादा सैंपल आरटीपीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव सामने आए. आंकड़ों की पॉजिटिविटी निगेटिविटी संशय खड़ा कर रही है कि एंटीजन कराने वाले लोग आखिर बीमार हैं या बीमार नहीं हैं?
एंटीजन टेस्टिंग के संग सबसे बड़ी समस्या उसकी सेंसटिविटी है. महाराष्ट्र के कोविड-19 टास्क फोर्स से जुड़े लोग यह बात मानते हैं कि इसकी सेंसिटिविटी 50 फीसदी है और इसके रिपोर्ट में जिनकी रिपोर्ट निगेटिव है उनमें भी बीमारी की संभावना है. इस तकनीक का इस्तेमाल बीएमसी की तरफ से मिशन यूनिवर्सल टेस्टिंग में जोर शोर से किया गया है. कोशिश यह है कि जो संक्रमित लोग हैं, कम समय में उनका पता लगा कर उनको फिल्टर किया जा सके. लेकिन जिनकी रिपोर्ट निगेटिव भी आती है और उनमें कोरोना के लक्षण हैं.
प्रशासन उन्हें डॉक्टर के संपर्क में रहने को कहता है, एक बार फिर से आरटीपीसीआर टेस्ट कराने को कहता है. एंटीजन टेस्ट किस कमी के चलते टेस्टिंग के दौरान इसे फाइनल आउटपुट नहीं माना जा रहा है. लोगों को सुझाव दिया जा रहा है कि आरटीपीसीआर टेस्ट ही कराएं क्योंकि वह टेस्टिंग के पैरामीटर्स पर सही है. महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स से जुड़े लोग ही एंटीजन टेस्ट से आई निगेटिव रिपोर्ट को हंड्रेड परसेंट सही नहीं है. स्पष्ट तौर पर कह रहे हैं की इस पर भरोसा नहीं कर सकते.
इसमें अगर कोरोना मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो 100 फीसदी सही है लेकिन अगर निगेटिव आती है तो इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता. एक बार बाद में आरटीपीसीआर टेस्ट करना ही पड़ता है. हाल ही में दिल्ली और मुंबई में रैपिड एंटीजन टेस्ट शुरू किया गया है.
इसका एक ही फायदा है रिजल्ट घंटे में आ जाता है .इसमें बड़ी समस्या ये है कि यह जो एंटीजन टेस्ट है इसकी सेंसटिविटी 50 फीसदी है. पॉजिटिव होने के बाद भी रिजल्ट निगेटिव आ सकता है. लेकिन अगर ये पॉजिटिव आता है तो इसका मतलब है कि कोरोना हो चुका है.
महाराष्ट्र टास्क फोकस टास्क फोर्स के सदस्य डॉ शशांक जोशी कहते हैं कि एंटीजन टेस्ट पर पूरा भरोसा नहीं कर सकते. वे सुझाव देते हैं कि डॉक्टर के संपर्क में रहिए. पॉजिटिव आता है तो ठीक है लेकिन निगेटिव आता है तो फॉलो करना पड़ेगा.
मुंबई में बीएमसी की तरफ से यूनिवर्सल टेस्टिंग प्लान चल रहे हैं. रिपीट एंटीजन टेस्ट जो किया जा रहा है. इसका मकसद यही है कि जल्द से जल्द मरीज की रिपोर्ट हाथ में आ सके. अभी भी सबसे श्रेष्ठ टेस्ट आरटीपीसीआर टेस्ट है.
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