Mumbai: बिजली दुर्घटना में अपने दोनों हाथ गंवाने वाले राजस्थान के एक 33 वर्षीय मरीज को मुंबई स्थित ग्लोबल अस्पताल में सर्जरी के बाद दोनों हाथ मिल गए. सर्जरी करानेवाले वह पहला एशिया का शख्स बने हैं. हॉस्पिटल के प्लास्टिक हैंड एंड रिकंस्ट्रक्टिव माइक्रोसर्जरी सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. निलेश जी सतभाई के नेतृत्व में टीम ने सर्जरी की है. सर्जरी 16 घंटे तक चली. 


अजमेर के रहने वाला प्रेमा राम को खेत में काम करते समय बिजली का झटका लगा था.  इससे उनके हाथ बिजली से चले गए थे. उन्हें अजमेर के एक नजदीकी अस्पताल में भर्ती किया गया. डॉक्टरों को उनकी जान बचाने के लिए उनके दोनों हाथ काटने पड़े.  हाथ प्रत्यारोपण के लिए मरीज के परिवार वालों ने काफी कोशिश की, लेकिन कृत्रिम हाथ न होने के कारण मरीज 12 साल तक बिना हाथ के जीवन जी रहा था. 


क्या परेशानी होती थी? 
मरीज प्रेमा राम  को हर रोज के अपने काम के लिए लिए भी उन्हें परिवार के सदस्यों पर निर्भर रहना पडता था. कंधे के स्तर पर हाथ का प्रत्यारोपण करना भारत में लगभग असंभव माना जाता था. प्रेमा राम के पिता ने भी युरोप में हाथ प्रत्यारोपण सर्जरी के बारे में पूछताछ की, लेकिन यह बहुत महंगा था और उनकी क्षमता से बाहर था.  ऐसी स्थिती में भी  प्रेमा ने उम्मीद नहीं खोई. उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी. 


मरीज ने क्या कहा? 
ग्लोबल अस्पताल के प्लास्टिक हैंड एंड रिकंस्ट्रक्टिव माइक्रोसर्जरी एंड ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. निलेश जी सतभाई ने कहा की हाथ का प्रत्यारोपण करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है. मरीज प्रेमा राम ने कहा कि वो अपने दोनों हाथ गंवाने के बाद मैं हार चुका था. मैं फिर से सामान्य व्यक्ति की तरह जीना चाहता था. मैं अपने पैरों से चीजों को पकड़ने की कोशिश करता था. मैंने हाल ही में अपनी बी.एड की परीक्षा पूरी की है. 


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