राजधानी दिल्ली की प्रदूषित हवा के बारे में तो हम रोज अखबार से लेकर सोशल मीडिया में पढ़ ही लेते हैं लेकिन दिल्ली के बाद अब महाराष्ट्र भी जहरीली हवाओं की चपेट में आ गया है. दरअसल पिछले एक महीनों से मुंबई की हवा बेहद प्रदूषित हो गई है. इस महानगर का हाल भी दिल्ली जैसा ही हो गया है. 


सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक महाराष्ट्र के मुंबई में वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में है. गुरुवार की सुबह यानी 8 दिसंबर को तो मुंबई में हवा की गुणवत्ता दिल्ली से भी बदतर थी. वहीं शुक्रवार यानी 9 दिसंबर की देर रात दिल्ली के हवा की क्वालिटी एक्यूआई सूचकांक में 249 (खराब) दर्ज की गई थी, जबकि मुंबई में यह संख्या 309 था जो कि बहुत खराब श्रेणी में आता है.


सोमवार को AQI का स्तर 'बेहद खराब


सोमवार यानी 12 दिसंबर को मुंबई में एयर क्वालिटी इंडेक्स 225 दर्ज किया गया जो कि राजधानी दिल्ली की तुलना में ‘खराब’ श्रेणी में आता है. सफर (SAFAR) के अनुसार सोमवार को दिल्ली में हवा का स्तर 152 था जो मध्यम श्रेणी में आता है. मुंबई में लगातार खराब हो रही हवा की गुणवत्ता को देखते हुए सफर के अधिकारियों ने यहां के नागरिकों को सलाह दी है कि वे भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें और अगर जाना ही पड़े तो मास्क जरूर पहनें.


हवा की गुणवत्ता के गिरते स्तर से होने वाली बीमारियों पर बात करते हुए डॉ.छाया वाजा ने कहा कि हवा की खराब क्वालिटी में सांस लेने से अस्थमा जैसे फेफड़ों के विकारों में वृद्धि हो सकती है. खराब हवा के कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी, पोस्ट-कोविड की स्थिति वाले मरीजों को खतरा है. 


एयर क्वालिटी इंडेक्स को इसकी रीडिंग के आधार पर 6 कैटेगरी में बांटा गया है. 



  • 0-50 -  अच्छा...  अगर वायु की गुणवत्ता 0 से 50 तक रही तो आपके स्वास्थ्य पर न्यूनतम असर पड़ेगा.

  • 51-100 -  संतोषजनक.. इतने AQI पर लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.

  •  101-200 -  अच्छा.. अगर हवा की गुणवत्ता 101 से 200 के बीच रही को फेफड़े या दिल के मरीज़ या जिन्हें अस्थमा हो, उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है.

  • 201-300 - खराब... ऐसी हवा में ज्यादा सांस लेने स्वास्थ्य के लिए हानीकारक है. 

  • 301-400 - बहुत खराब... इस हवा में लंबे समय तक रहने पर सांस की बीमारी हो जाती है.

  • 401-500 - गंभीर... इस श्रेणी में पहुंचने के बाद हवा में सांस लेने से  लोगों के स्वस्थ पर असर होता है. जिन्हें पहले से सांस या दिल की बीमारी है, उनपर गंभीर असर होता है.


एक महीने से नहीं हो रहा हवा की क्वालिटी में सुधार


सफर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ गुफरान बेग ने इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा, 'यह पहली बार नहीं है जब मुंबई की हवा इतनी प्रदूषित हुई हो, लेकिन इससे पहले इस महानगर की हवा में प्रदूषण एक या दो दिन से ज्यादा नहीं टिका था. इस बार लगभग एक महीने से ज्यादा होने को है लेकिन वायु की गुणवत्ता में सुधार नहीं आ रहा है और यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी चिंता का विषय है. 




हवा के पैटर्न में बदलाव


डॉ बेग ने कहा कि पिछले एक महीने से वायु में प्रदूषण होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण यहां के हवा के पैटर्न में देखा जा रहा बदलाव हैं. इस साल मुंबई में हवा की गति काफी धीमी है, जिससे प्रदूषकों को दूर करने की इसकी क्षमता कम हो गई. 


उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह से नहीं समझ पा रहे कि वायु से प्रदूषण खत्म क्यों नहीं हो रहा है, लेकिन इस साल हवा के पैटर्न में बदलाव देखा गया है. हवा प्रवाह की गति में गिरावट आई है इसकी और जांच किए जाने की जरूरत है, लेकिन हवा की गति में कमी प्रदूषकों को दूर भगाने की इसकी क्षमता को कम कर रही है और यही मुंबई में खराब वायु गुणवत्ता के सबसे बड़े कारणों में से एक है.




कैसा है मुंबई में हवा का पैटर्न 


डॉ गुफरान बेग ने कहा कि मुंबई में कुछ दिन तक हवा का प्रवाह जमीन से समुद्र तक रहता है और फिर कुछ दिनों तक समुद्र से जमीन तक. आमतौर पर वायु प्रवाह का ये चक्र हर 3-4 दिन में बदलता रहता है. लेकिन इस साल इस चक्र में देरी हो रही है. इस साल वायु प्रवाह की दिशा हर 3-4 दिन में बदलने के बजाय एक हफ्ते या 10 दिन बाद बदल रहा है. इससे शहर में बड़े पैमाने पर प्रदूषकों का जमाव हो रहा है. यहां तक कि जब हवा की दिशा अनुकूल हो जाती है, तब भी इसके बहने की गति इतनी धीमी होती है कि हवा पूरी तरह से साफ नहीं हो पा रहा है.


क्यों आया हवा के पैटर्न में बदलाव 


डॉ. बेग ने कहा कि इस बदलाव के पीछे मौसम संबंधी कारणों की जांच की जरूरत है. अब तक हम नहीं जानते हैं कि इस पैटर्न के धीमा होने के पीछे असल कारण क्या है. हो सकता है कि ऐसा कोई असामान्य वैश्विक घटना के कारण हो रहा है. फिलहाल तो हम यह भी नहीं जानते कि हवा के पैटर्न में बदलाव अस्थायी है या अब यह ऐसा ही रहने वाला है.


IIT कानपुर के प्रोफेसर और देश में वायु प्रदूषण के प्रमुख विशेषज्ञों में से एक, एस एन त्रिपाठी ने कहा कि हवा की क्वालिटी खराब होने का एक और कारण कंस्ट्रक्शन के काम में बढ़त भी हो सकता है. पिछले कुछ महीनों में मुंबई मेट्रो या तटीय सड़क परियोजना के निर्माण में तेजी देखी गई है. यह हवा की गुणवत्ता खराब करने का कारण हो सकता है, क्योंकि मुंबई में वर्तमान में पीएम 10 (10 माइक्रोमीटर या उससे छोटे आकार के कण) के स्तर में भी वृद्धि देखी जा रही है. 




एक्सपर्ट ने दी ये सलाह 


मुंबई एक द्वीपीय शहर है, इसके अपने भौगोलिक फायदे हैं. यहां वर्तमान में जो वायु गुणवत्ता के खराब होने की समस्या आ रही है उसके निपटारे के लिए जरूरी है कि शहर में धूल-निवारक नीति लागू की जाए.