मुंबईः पवई इलाके में मौजूद पवई तालाब बीएमसी के केमिकल छिड़काव के कारण प्राकृतिक जल जीवन खराब हो रहा था. बीएमसी तालाब में ग्लाइकोसाइड नाम का केमिकल डाली गई थी जिसके चलते यहां मौजूद घास जल चुकी है और झील में रहने वाले मगरमच्छ मेंढक मछली बुरी तरह से प्रभावित हुए है. इसी बात को लेकर पर्यावरणविद ने महाराष्ट्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को पत्र लिखा और बोर्ड ने अब बीएमसी को झाड़ लगाई है. बोर्ड ने निर्देश देते हुए कहा है कि किसी भी तरह का केमिकल पवई झील में ना डाला जाए क्या है.


पिछले कुछ दिनों से बीएमसी पवई झील में अलग अलग तरीके के केमिकल डाल रही थी. इस केमिकल को लेकर पर्यावरणविद चिंतित थे. इस केमिकल का असर आसपास में देखने को मिलता है. पर्यावरणविद स्टालिन बताते है कि झील में मौजूद हरे खरपतवार झुलसे हुए दिखाई दे रहे हैं. मगरमच्छ सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. तमाम रिपोर्टों में यह बात सामने निकल कर आई है किसी तरह की केमिकल का छिड़काव मगरमच्छों को जनजीवन को प्रभावित करता है.


केमिकल के छिड़काव से मेंढक और मछलियों पर भी असर


पर्यावरण एक्टिविस्ट स्टारलीन ने कहा कि केमिकल के छिड़काव से मेंढक और मछलियों पर भी असर पड़ा है. ऐसे केमिकल के छिड़काव से तुरंत मौत नहीं होती पर अलग-अलग तरह की बीमारियां समुद्री जीवो में पनपने लगती है. इस मुद्दे को बार-बार बीएमसी के सामने उठा उठाया बीएमसी ने सुनी नहीं तो आखिर में पर्यावरण प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के पास लेकर गए. जिसके बाद महाराष्ट्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने बीएमसी के एस वर्ड के अधिकारियों से बात की. बातचीत के बाद उन्हें सख्त निर्देश दिए कि किसी भी तरह का केमिकल का छिड़काव झील में ना किया जाए.


केमिकल का प्रयोग झील के जलीय जीव तंत्र को पर डालेगा नकारात्मक असर


प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के इस निर्देश से स्टारलीन बहुत खुश हैं. पिछले कई दिनों से झील के जनजीवन को बचाने के लिए स्टालिन प्रयास कर रहे थे. बोर्ड के इस फैसले के बाद अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इससे जलीय जीवन पर पड़ रहा असर रुकेगा. प्रदूषण बोर्ड का लेटर जो बीएमसी के एस वर्ड के लिए लिखा गया है उसमें स्पष्ट तौर पर यह भी निर्देश है कैसे केमिकल का प्रयोग झील के जलीय जीव तंत्र को लॉन्ग टर्म पर बेहद नकारात्मक असर डाल सकता है. इस पूरे मामले में बीएमसी की क्या प्रतिक्रिया है यह जानने के लिए हमने वार्ड अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की और उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया.


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