Mumbai Session Court: मुंबई के सेशन कोर्ट ने महिलाओं के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जिसमें सेशन कोर्ट ने एक 18 महीने के बच्चे को उसकी मां की कस्टडी में देने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा है. कोर्ट के फैसले में कहा गया कि बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए मां का दूध सबसे महत्वपूर्ण है. यह फैसला सेशन कोर्ट के न्यायाधीश श्रीकांत वाई भोसले ने सुनाया है.


कोर्ट ने 37 वर्षीय पिता को बच्चे की कस्टडी देने से इनकार करते हुए कहा कि पार्टियों का बच्चा एक साल और छह महीने का है और उसे स्तनपान की बिल्कुल जरूरत है. न्यायाधीश श्रीकांत वाई भोसले ने कहा कि बच्चा पिछले एक साल से पति की कस्टडी में है और उसे मां का दूध नहीं मिल पा रहा है , जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सबसे जरूरी है. जिस वजह से बच्चे का मां के साथ रहना सही है.


नवंबर 2021 में बेटे को दिया था जन्म 
जानकारी के मुताबिक बच्चे के माता-पिता की 2020 में अरेंज मैरिज हुई थी. जिसके बाद महिला ने 2022 में मजिस्ट्रेट की अदालत के सामने घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज की थी. महिला ने नवंबर 2021 में एक बेटे को जन्म दिया था. उसने आरोप लगाया कि उसका पति और उसके रिश्तेदार उसे प्रताड़ित करते थे. उसने कहा कि 8 मार्च 2022 को उसे घर से निकाल दिया गया था.


महिला ने मजिस्ट्रेट अदालत में घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके बाद दोनों पक्षों में बात हुई और महिला ससुराल लौट गई. हालांकि, उसे एक बार फिर से घर के बाहर कर दिया गया था. इसके बाद महिला ने उसके बच्चे की कस्टडी के लिए मजिस्ट्रेट की अदालत का दरवाजा खटखटाया. जिसमें महिला को बच्चे की कस्टडी दे दी गई. मजिस्ट्रेट अदालत के 31 मार्च के आदेश से असंतुष्ट पिता ने सेशन कोर्ट का रुख किया था.


घर छोड़ने के लिए किया गया मजबूर 
पति ने सत्र अदालत को बताया कि उसकी पत्नी के पास आर्थिक स्थिरता नहीं है और वह नौकरी की तलाश कर रही है. उनके वकील ने कहा, "ऐसी परिस्थितियों में, बच्चे की कस्टडी पत्नी को सौंपना उचित नहीं है." वकील ने यह भी कहा कि जब बच्चा आठ महीने का था तब पत्नी ने अपना ससुराल छोड़ दिया और तब से पति और उसके माता-पिता बच्चे की देखभाल कर रहे थे. पत्नी ने इसपर आरोप लगाया कि उसे परेशान किया गया और घरेलू हिंसा का शिकार बनाया गया और उसे घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया.


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