Elgar Parishad-Maoist links Case: मुंबई (Mumbai) में एनआईए की विशेष अदालत (Special NIA Court) ने सोमवार को एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले (Elgar Parishad-Maoist links Case) में आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) की जमानत याचिका (Bail Plea) खारिज कर दी. नवलखा को 28 अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया गया था. शुरुआत में उसे नजरबंद (House Arrest) रखा गया था.


पिछले साल कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) की दुआई देकर सेहत कारणों का हवाला देते हुए नवलखा ने एनआईए कोर्ट से जमानत मांगी थी लेकिन तब भी उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी. दरअसल, जेल प्रशासन ने कहा था कि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले कैदी अंतरिम जमानत के लिए अपील कर सकते हैं.


क्या है एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामला?


1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में एल्गार परिषद ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसके बाद वहां हिंसा भड़क गई थी. यह कार्यक्रम भीमा कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर आयोजित किया गया था. दरअसल, जनवरी 1818 में मराठा और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच यहां युद्ध हुआ था. 2018 की हिंसा में भारी पथराव हुआ था, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई थी. इसके अलावा कई दुकानों और गाड़ियों को नुकसान पहुंचा था. इसके बाद राज्य के कई हिस्सों में हिंसा फैल गई थी. आरोपियों पर माओवादी विद्रोहियों के साथ संबंध रखने का आरोप लगा था. हिंसा के पीछे भड़काऊ भाषणों को कारण बताया गया था. मामले को लेकर पुणे पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की थी और 10 लोगों को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने उनके लैपटॉप, मोबाइल और अन्य गैजेट्स जब्त किए थे. 


अमेरिकी फर्म ने लगाया था सबूतों को प्लांट करने का आरोप


एक अमेरिकी साइबर सिक्यॉरिटी फर्म सेंटिनेलवन ने दावा किया था कि आरोपियों के सिस्टम हैक कर उनमें कथित सबूत प्लांट किए गए थे. सिस्टम हैक करने का आरोप पुणे पुलिस पर भी लगाया गया था. सेंटिनेलवन के दावे के मुताबिक, मामले के आरोपी रोना विल्सन और वरवर राव के कंप्यूटर सिस्टम हैक कर उनमें सबूत प्लांट किए गए थे.


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