नई दिल्ली: मुंबई में शुक्रवार सुबह एलफिन्स्टन रोड फुटओवर ब्रिज पर मची भगदड़ में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई जबकि 39 लोग घायल हो गए. सवाल ये उठ रहा है कि हादसे की वजह क्या है. हादसे के लिए रेलवे ने बारिश को जिम्मेदार बताते हुए अपनी नाकामी से पल्ला झाड़ लिया है.


अस्पताल पहुंचे मुख्यमंत्री फडणवीस


हादसे की खबर मिलने के बाद अपना सिंगापुर का दौरा बीच में छोड़कर मुबंई लौटे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस रात में घायलों से मिलने पहुंचे. एयरपोर्ट से सीधे उन्होंने केईएम अस्पताल में घायलों का हाल जाना. मुख्यमंत्री ने सभी स्टेशनों पर सुरक्षा की समीक्षा का वादा किया.



अस्पताल के बाहर पत्रकारों से बातचीत में फडणवीस ने कहा, ''न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरा देश इस त्रासद घटना से स्तब्ध है. 22 लोग मारे गए हैं जबकि 39 अब भी अस्पताल में भर्ती हैं. इनमें से एक व्यक्ति की हालत नाजुक है.'' उन्होंने कहा, ''रेल मंत्रालय ने घटना की विस्तृत जांच के आदेश दे दिए हैं. दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी. यह सुनिश्चित करना अहम है कि ऐसी घटनाएं भविष्य में नहीं हों और इसलिए रेल मंत्रालय ने सभी पुलों की जांच शुरू कर दी है.''


तीन साल से ब्रिज के मरम्मत की मांग हो रही थी


आपको बता दें कि एलफिंस्टन रोड रेलवे स्टेशन का फुटओवर ब्रिज भीड़ के लिहाज से कम चौड़ा था, जिसे चौड़ा करने की मांग तीन साल से हो रही थी. इसी महीने की 16-17 तारीख को ओवरब्रिज की चौड़ाई 6 मीटर से बढ़ाकर 12 मीटर करने को मंजूरी भी मिल गई थी. कल..यानी हादसे के दिन ही इसकी टेंडर प्रक्रिया भी शुरु हो गई थी..लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. सरकार की कछुए वाली चाल का नतीजा 22 लोगों की मौत के रूप में सामने आया.



अब अपनी कमीज सफेद दिखाने के लिए एक सुर में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक जरूरी कदम उठाने की बात कर रहे हैं. 22 लोगों की मौत के बाद जागा रेल प्रशासन अब रेलवे के खतरनाक हो चुके फुटओवर ब्रिज को सुधारने का काम शुरू करने वाला है.

रेलवे ने बारिश को जिम्मेदार ठहराया


हादसे के बाद अब सरकारी खानापूर्ति शुरू हो गई हैं. जांच के आदेश दे दिए गए हैं. मुआवजे का भी ऐलान कर दिया गया है लेकिन एक चीज जो सरकार और प्रशासन हर बार भूल जाता है....वो है हादसे की जिम्मेदारी लेना. एलफिंस्टन रोड हादसे में भी रेलवे प्रशासन ने अपनी गलती मानने की बजाए हादसे का जिम्मेदार बारिश को बताया.


 रेल मंत्री की बैठक


आज रेलवे के बड़े अधिकारियों के साथ बैठक में रेलवे स्टेशनों पर बने खतरनाक फुटओवर ब्रिज को जल्द से जल्द दुरुस्त करने का प्लान तैयार किया जाएगा. पीयूष गोयल ने घटना को बेहद दुखद बताया और रेलवे के सभी कर्मचारियों से दशहरा ना मनाने की अपील की.


शिवसेना ने सरकार को कठघरे मे खड़ा किया


शुक्रवार को शिवसेना अरविंद सावंत ने कहा कि उन्होंने पिछले साल इसी ब्रिज को चौड़ा करने के लिए चिट्ठी लिखी थी, जिसके जवाब में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा था कि रेलवे के पास इसके लिए फंड नहीं है. उन्होंने कहा था कि ग्लोबल मार्केट में मंदी है, आपकी शिकायत तो सही है लेकिन अभी फंड की कमी है. इसके साथ ही उन्होंने यह मुद्दा संसद में भी उठाया था.



शिवसेना सांसद के इस आरोप पर रेल मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि नए फुटओवर ब्रिज के लिए निर्माण के लिए साल 2016 में ही मंजूरी दे दी गई थी और इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया अभी चल रही है. लेकिन सवाल यह है कि संसद में खतरे के बारे में आगाह किए जाने और खतरे की आशंका होने के बावजूद अब तक इस ब्रिज की टेंडर प्रकिया शुरू होने में इतनी देरी क्यों हुई. फुट ओवर ब्रिज पर के बगल में एक नया फुट ओवर ब्रिज बनाए जाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी थी लेकिन अभी टेंडर दिया नहीं गया था. इस नये पुल की अनुमानित लागत 12.8 करोड़ है.


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सवाल यह है कि स्मार्ट सिटी बनाने के दावों, बुलेट ट्रेन दौड़ाने की चकाचौंध के बीच आखिर क्या कारण है कि सरकारें और सिस्टम मुसाफिर को रेल से सुरक्षित उतारकर स्टेशन के बाहर तक नहीं पहुंचा पाते और एक ब्रिज के निर्माण कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया में ही इतना वक्त लग जाता है. इस मामले को लेकर दादर पुलिस स्टेशन में सीआरपीसी के सेक्शन 174 के तहत ADR दर्ज हो गई है. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिये हैं.