मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की संभावना जल्द, अमेरिकी कोर्ट से नहीं मिली कोई राहत
Mumbai 26/11 Attack: मुंबई में हुए आतंकी हमलों ने पूरे देश को दहला कर रख दिया था. इन हमलों की साजिश में पाकिस्तानी मूल के तहव्वुर हुसैन को जल्द ही भारत लाया जा सकता है.
![मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की संभावना जल्द, अमेरिकी कोर्ट से नहीं मिली कोई राहत Mumbai terror attacks accused Tahawwur Rana extradition soon US state dept to take decision मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की संभावना जल्द, अमेरिकी कोर्ट से नहीं मिली कोई राहत](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/08/18/0cdabbbf5ad4cbd6e84a9683801d460c1692330201866315_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Mumbai Terror Attack: मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमले में साजिश के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को जल्द ही भारत लाये जाने की संभावना बन रही है. अमेरिकी अदालत ने पाकिस्तानी मूल के इस कनाडाई बिजनेस मैन की उस अपील को खारिज कर दिया है जिसमें वह अमेरिकी सरकार से भारत नहीं भेजे जाने की गुहार लगा रहा है.
अमेरिकीा की अदालत के उसको कोई भी राहत देने से इनकार के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय से उसको भारत लाए जाने की अनुमति मिलती दिख रही है. वह भारत में मुंबई आतंकी हमलों में साजिश का नामजद आरोपी है. हालांकि, तहव्वुर ने इस आदेश के खिलाफ अपील की है. अपील में उसकी एक अन्य अदालत में अपील की सुनवाई होने तक भारत में उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की है.
'हमारे लिए ये अभी पेंडिंग मैटर है'- अमेरिकी सरकार
अमेरिका सरकार में डिप्टी स्पोक्स पर्सन वेदांत पटेल ने कहा है कि यह हमारे लिए अभी पेंडिंग मैटर है. उन्होंने कहा, 'अमेरिका सरकार पूरी दुनिया में ही आतंकवाद के खिलाफ है. भारत में 26/11 मुंबई हमलों की हम निंदा करते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए था. अमेरिका हमेशा से ही आतंकवाद के अपराधियों के खिलाफ रहा है. हम चाहते हैं कि आतंक के खिलाफ जितने भी आरोपी हैं उनको सजा दी जाए.'
क्या हैं तहव्वुर की दो दलीलें?
सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया में यूनाइटेड स्टेट डिस्ट्रिक्ट के न्यायाधीश डेल एस फिशर ने 10 अगस्त के अपने आदेश में लिखा, ‘अदालत ने एक अलग आदेश जारी कर तहव्वुर राणा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी है.’ न्यायाधीश फिशर ने अपने आदेश में कहा कि राणा ने अपनी याचिका में दो मूल दलीलें पेश की हैं.
उन्होंने कहा कि पहली दलील यह है कि संधि के तहत उसे प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता, क्योंकि भारत उसके खिलाफ उन कृत्यों के लिए अभियोग चलाना चाहता है, जिनको लेकर अमेरिका की एक अदालत ने उसके खिलाफ आरोप लगाए थे और उसे बरी कर दिया था. दूसरा तर्क यह है कि सरकार यह बात साबित नहीं कर सकी है कि यह मानने का संभावित कारण है कि राणा ने भारत में वे अपराध किए जिन्हें लेकर उसके खिलाफ अभियोग चलाया जाना है.
ये भी पढ़ें: Jammu Kashmir: ‘भारत में सभी हिंदू पैदा हुए’, गुलाम नबी आजाद की टिप्पणी पर महबूबा मुफ्ती बोलीं- हो सकता है कि...
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)