मुंबई: मजदूरों को यूपी भेजने वाली दो ट्रेनें अचानक की गईं रद्द, भारी संख्या में जुटी भीड़
जानकारी के मुताबिक स्थानीय पुलिस स्टेशन से खुद फ़ोन कर ट्रेन चलने की बात कही गई थी और कांदिवली महावीरनगर मैदान में मज़दूरों को बुलाया गया था, जिसके बाद अचानक ट्रेन कैंसिल होने की सूचना दी गई.
मुंबई: मुंबई में बोरीवली से यूपी के प्रतापगढ़,जौनपुर और गोरखपुर के लिए चलने वाली तीन ट्रेंने अचानक कैंसिल होने के चलते मज़दूरों के भीच अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया. ट्रेन कैंसिल होने के चलते हज़ारों मजदूर मैदान में घंटो फंसे रहे. वहीं इस लापरवाही के ज़िम्मेदार रेलवे और स्थानीय पुलिस ने ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल मजदूरों को उनके राज्य वापस भेजने के लिए आज सुबह बोरीवली स्टेशन से यूपी के तीन जिलों के लिए विशेष ट्रेन चलने वाली थी. जिसके लिए मजदूर मुंबई के कांदिवली महावीरनगर मैदान में हज़ारों की संख्या में यूपी के तीन राज्य प्रतापगढ़, जौनपुर और गोरखपुर जाने के लिए इकठा हुए थे.
स्थानीय पुलिस स्टेशन से खुद फ़ोन कर इन मज़दूरों को यहा बुलाया गया था. सुबह 8 बजे से ही मज़दूर अपने पूरे परिवार सहित समान लिए यहां पहुंच गए थे. सभी मजदूरों की स्क्रीनिंग करने के बाद बस के माध्यम से उन्हें बोरीवली स्टेशन ले जाया जाता. सुबह 10 बजे और 12 बजे के करीब तीनो जगहों के लिए ट्रेनें चलने वाली थी. लेकिन अचानक पुलिस के कांस्टेबल ने मज़दूरों को ट्रेन कैंसिल होने की जानकारी दी और उन्हें घर वापस जाने के लिए कहा.
ट्रेन रद्द होने की जानकारी मिलते ही मजदूरों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई क्योंकि सभी मजदूर लॉकडाउन के चलते जैसे तैसे कर कांदिवली पहुंचे थे. सभी मजदूर अपने राज्य जाने के लिए सभी औपचारिक प्रक्रिया को पूरा कर पुलिस के बुलाने के बाद ही कांदिवली के मैदान में जामा हुए थे. चिलचिलाती धूप में अपने बच्चों को लिए मजदूर सुबह से इंतज़ार कर रहे थे. अपना घर छोड़ मज़दूर बीच मैदान में समान लिए इस इंतज़ार में बैठे थे कि ट्रेन चलाई जाने की कोई घोषण की जाएगी. लेकिन उन्हें गोल-गोल घुमाया गया. मजदूरों से पुलिस कभी गोरखपुर तो कभी जौनपुर के लिए ट्रेन चलाई जाने की बात कहती रही. जिसे सुन मजदूरों के बीच बेचैनी और बढ़ती रही.
सुबह यूपी के तीन जिलों के लिए चलने वाली ट्रेन आखिर एन वक़्त पर क्यों रद्द की गई. यह जानने के लिए हमारी संवाददाता ने वेस्टर्न रेलवे के पीआरओ डेविड से बात की. पहले तो वेस्टर्न रेलवे को खुद इस बात की जानकारी नहीं थी बोरिवली से यूपी के लिए तीन ट्रेनें चलाई जा रही हैं. दोबारा बात करने पर डेविड ने ऐसी किसी भी ट्रेन चलाए जाने की बात से इनकार किया.
वेस्टर्न रेलवे ने इस बड़ी लापरवाही से सीधा अपना पल्ला झाड़ लिया. ऐसे में गेंद रेलवे की झोली से निकलकर अब जोन 11 के पुलिस स्टेशन पर आ गिरी. जिसने मज़दूरों को ट्रेन चलने के जानकारी दे कर उन्हें कांदिवली के महावीरनगर के इस मैदान में जमा होने को कहा था. मामला आखिर क्या है और इस लापरवाही का ज़िमेदार कौन है ये जानने के लिए संवाददाता रेणु ने जोन 11 के डीसीपी से बात की. डीसीपी ने बताया कि हमारे पुलिस स्टेशन में अपने राज्य में जाने के लिए मजदूरों के आवेदन आए उन्हें भेजने के लिए हमने रेलवे से चार ट्रेनों की अनुमति मांगी. किन्तु हमे 2 ट्रेन की ही अनुमति दी गई. फिर उसके बाद हमें केवल जौनपुर ट्रेन भेजने की इजाज़त मिली.
रेलवे के पीआरओ ने सफाई देते हुए हमें बताया कि रेलवे द्वारा 2 मई से लेकर अब तक 723 श्रमिक ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं. अब तक हमने 1 लाख 26 हज़ार मजदूरों को उनके राज्य पहुंचाया है. एक दिन में 83 ट्रेनें चलाई जा रही हैं.
पर सवाल ये है कि अगर रेलवे एक दिन में इतनी संख्या में ट्रेन चला रही है तो आखिर महाराष्ट्र में मजदूर क्यों इतने मजबूर हैं. आखिर मजदूरों को क्यों इस तरह प्रशासन की लापरवाही का शिकार होना पड़ रहा है. आखिर क्यों मजदूरों के साथ ट्रेन चलाए जाने के नाम पर मजाक किया जा रहा है. क्या इस बेफिक्र प्रशासन को इस बात का डर नहीं के इस तरह से ट्रेन रद्द करने से हालात कितने विकराल हो जाएंगे. हजारों की संख्या में इकट्ठा हो रहे मजदूर संक्रमण का शिकार हो जाएंगे.
आज कांदिवली में जो हुआ उसकी जिम्मेदारी ने स्थानीय पुलिस लेना चाहती है और ना ही रेलवे प्रशासन. दोंनो ही अपने जवाबदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं. ऐसे में अगर कोई इस लापरवाही का शिकार हो रहा है तो वो हैं हमारे मजदूर.
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