मुंबई के सभी निजी अस्पतालों में साप्ताहिक वैक्सीनेशन की संख्या में पिछले एक महीने की तुलना में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जबकि सरकारी केंद्रों की स्थिति इसके विपरीत देखने को मिली है. वहां वैक्सीनेशन का आंकड़ा काफी कम रहा है. पिछले सप्ताह  के डेटा से पता चलता है कि वैक्सीन लगाने वालों में से 52 प्रतिशत लोगों ने पैसे देकर वैक्सीन लगवाई है. इस दौरान 20 से ज्यादा निजी अस्पतालों ने मिलकर 1.22 लाख लोगों का वैक्सीनेशन किया है.


लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने निजी अस्पतालों को आपूर्ति की गई डोज की संख्या को साझा करने से इनकार कर दिया. मुंबई में कम से कम 16 अस्पतालों ने कोविशील्ड स्टॉक को खरीदा है. वहीं कोवैक्सिन निर्माता भारत बायोटेक ने कहा कि उसने अब तक शहर के 10 अस्पतालों को आपूर्ति की है, लेकिन कहा कि कितनी शीशियों की आपूर्ति की गई है ये पता लगाने में समय लगेगा. निजी अस्पताल वैक्सीनेशन की संख्या जून में और बढ़ने के लिए तैयार है, क्योंकि वो वैक्सीनेशन अभियान को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.


अधिकारियों ने बताया कितना मिलता है मार्जिन


इंडियन एक्सप्रेस ने अस्पताल के कई अधिकारियों से वैक्सीनेशन में अस्पतालों के खर्च और उनको मिल रहे लाभ का मार्जिन जानने की कोशिश की है. जहां पता चला कि निजी अस्पताल प्रत्येक कोविशील्ड खुराक 630 रुपए पर खरीदते हैं, ये अतिरिक्त रूप से भंडारण, जनशक्ति, डेटा ऑपरेटरों और सिरिंज पर प्रति खुराक 150-200 रुपये खर्च करते है, जिससे इसकी कीमत बढ़कर 780 और 800 रुपये के बीच हो जाती है.


इस रेट पर मिल रही वैक्सीन


नानावती अस्पताल ने हाउसिंग सोसाइटी के लिए 1,100 रुपये प्रति जैब और वॉक इन के लिए 900 रुपये निर्धारित किए हैं. जसलोक अस्पताल कोवाक्सिन के लिए 1,500 रुपये और कॉरपोरेट और हाउसिंग सोसाइटी ड्राइव के लिए कोविशील्ड के लिए 950 रुपये चार्ज कर रहा है. वहीं अपोलो हॉस्पिटल ने हॉस्पिटल वॉक इन या कॉरपोरेट बुकिंग के लिए 850 रुपये प्रति डोज का स्टैंडर्ड प्राइस तय करने का फैसला किया है.


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