मुंबई पुलिस ने हाल ही में कोविड वैक्सीन कैंप चलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था. इस गिरोह के जाल में फंसने वाला शहर के एक बड़े कॉलेज का नाम अब सामने आया है. इस कॉलेज का नाम आदित्य कॉलेज ऑफ डिजाइन स्टडीज है. इस कॉलेज के ट्रस्टी आशीष मिश्रा ने मुंबई के बोरीवली पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें बताया गया कि इस गिरोह के झांसे में आकर उन्होंने 3 जून को कैंप का आयोजन करवाया था जिसमें 213 लोगों को वैक्सीन लगी थी. इन 213 लोगों में कॉलेज के छात्र, ट्रस्टी और कॉलेज के कर्मचारी हैं.
कॉलेज ने अपने आधिकारिक बयान में बताया, "3 जून 2021 को आदित्य कॉलेज परिसर में आयोजित टीकाकरण अभियान का आयोजन एक बड़े अस्पताल के मुख्य प्रबंधक राजेश पांडे की एक इवेंट कंपनी द्वारा किया गया था. जिन्होंने सहमति व्यक्त की और आश्वासन दिया कि पूरा शिविर पर्यवेक्षण में होगा. पांडे ने आश्वासन दिया था कि वो इसका आयोजन करवाएगा, सभी आवश्यक अनुमतियां और कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करेगा और हमारा यानी कि कॉलेज का काम केवल भुगतान तक ही सीमित रहेगा."
उसकी बात मानते हुए आदित्य कॉलेज ने अपने छात्रों, कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों के साथ-साथ कॉलेज के ट्रस्टी के लाभ के लिए 18-44 उम्र वर्ग के लिए कोविन में टीकाकरण स्लॉट हासिल करने में कठिनाई को देखते हुए उक्त शिविर आयोजित करने का निर्णय लिया. आदित्य कॉलेज का उद्देश्य ट्रस्टी सहित अपने हितधारकों और सहयोगियों को टीकाकरण प्रदान करना था, जिन्हें उस कैंप में टीका लगाया गया है.
कॉलेज ने आगे कहा, विभिन्न मीडिया के माध्यम से यह हमारे संज्ञान में आया है कि लोगों के एक समूह ने अपने निवासियों के लिए कांदिवली में एक हाउसिंग सोसाइटी यानी हीरानंदानी में इसी तरह का अभियान चलाया. इस समाचार को देखने और टीकाकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करने में देरी के बाद आदित्य कॉलेज ने भी टीकाकरण अभियान के आयोजकों के खिलाफ पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज की है.
क्या था मामला?
कांदिवली हीरानंदानी हेरिटेज में 30 मई को वैक्सीन कैंप का आयोजन किया गया था. मैनेजमेंट ने एक हॉस्पिटल PRO से संपर्क किया और उसी के मध्यस्थ के माध्यम से वैक्सीन लगवाया. वैक्सीन लगने के बाद सर्टिफिकेट 4-5 दिन बाद मिलने की बात की थी. सर्टिफिकेट पर समय, तारीख गलत था. जिसके बाद लोगों को संदेह आने लगा और फिर लोगों ने पुलिस को शिकायत की. सोसाइटी के लोगों की शिकायत के बाद पुलिस ने गुरुवार की रात चीटिंग, फोर्जरी , IT Act, Impersonation के तहत मामला दर्ज किया.
पुलिस ने शुक्रवार को अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उनकी जांच में सामने आया कि इस टीकाकरण अभियान के लिए BMC की कोई इजाजत नहीं ली गई थी जो कि 7 मई के सर्क्युलर के मुताबिक इजाजत लेनी जरूरी थी. इस टीकाकरण ड्राइव के दौरान कोई क्वालिफाइड डॉक्टर वहां मौजूद नहीं था. इसके अलावा आरोपियों ने सर्टिफिकेट के लिए कई अस्पतालों का कोविन एप्लिकेशन का आईडी चुराया गया. वैक्सीन किसी अधिकृत सोर्स से नहीं लाई गयी और इस गिरोह ने 9 जगहों पर इसी तरह कैंप का आयोजन किया था.
इस मामले में पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है जिसमें से एक आरोपी को मध्य प्रदेश से हिरासत में लिया गया है. मुंबई पुलिस के नार्थ रीजन के एडिशनल कमिश्नर दिलीप सावंत ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में से एक 10 वी फेल आदमी है जो कि यह पूरा रैकेट चला रहा था. वो पिछले 17 साल से मेडिकल लाइन में काम कर रहा था इसलिए उसके कांटेक्ट थे. पुलिस को जांच में पता चला कि कोविन एप्लिकेशन का आईडी चुराने वाले 2 लोग थे.
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