मुंबईः मुंबई के प्रमुख इलाके में स्थित वाडिया अस्पताल जो अक्सर बच्चों के बेहतरीन इलाज के लिए जाना जाता है. मरीज़ों को नया जीवन देने वाला यह अस्पताल आज खुद वेंटीलेटर पर लेटा हुआ नजर आ रहा है. आज वाडिया खुद सांस लेने के लिए बीएमसी और राज्य सरकार से फंड की मांग कर रहा है. सरकार और बीएमसी की ओर से पर्याप्त फंड न मिलने के कारण अस्पताल मरीज़ों का सही से इलाज नही कर पा रहा है. अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है.


अस्पताल को फिर से एक जीवन देने की कोशिश में अस्पताल प्रशासन, यूनियन और सभी कर्मचारी बीएमसी और राज्य सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे. पूरे दिन चले इस घमासान में अस्पताल के बाहर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया.


इस बीच राजनीति भी खूब हुई. एमएनएस, शिवसेना, कांग्रेस और बीजपी ने राजनीति करने का कोई मौका नही छोड़ा. सभी ने एक दूसरे पर जमकर निशाना साधा.


MNS ने BMC और राज्य सरकार पर लगाए आरोप


मीडिया से बात करते हुए एमएनएस ने बीएमसी और राज्य सरकार पर लापरवाही से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि महापालिका जिस तरह अस्पताल को आश्वाशन दे रहा है उसी तरह हमे भी पिछले 15 दिन से आश्वाशन दिया जा रहा है. कुछ दिन पहले मेरे पास एक महिला मदद के लिए आई.


उन्होंने बताया कि इस महिला ने अपना बेटा खोया है. वजह अस्पताल में बच्चे का इलाज करने के लिए जरूरत की दवा नहीं थी. महापालिका और राज्य सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा करते हुए शर्मिला ठाकरे ने प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियो को आश्वाशन दिया दिया कि वह खुद इस मामले में हस्तक्षेप करेंगी और अस्पताल को किसी भी हालत में बंद नही होने देंगी.


'अस्पताल बोल रहा है झूठ'


वहीं दूरी ओर शिवसेना के MLA अजय चौधरी और कांग्रेस के सचिन सावंत भी अस्पताल के कर्मचारियों से मिलने पहुंचे. शिवसेना के तरफ से सफाई देते हुए अजय चौधरी ने अस्पताल पर झूट बोलने का आरोप लगाया तो वही सचिन सावंत ने बीजेपी को असंवेदनशील बताया.


अजय चौधरी ने अस्पताल पर सरासर झूट बोलने का आरोप लगाया और कहा कि मैंने स्वयं महापलिका के कॉमिशनर से बात की उन्होंने मुझे बताया के अस्पताल को पहले ही 14 करोड़ रुपए सैंक्शन किया जा चुका है. वो भी 3 दिन के भीतर. बाकी बकाया राशि जल्द ही आने वाले दिनों में दे दी जायएगी.


कांग्रेस के नेता सचिन सावंत ने जमकर बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में राज्य में जो सरकार रही वो बेहद ही असंवेदनशील थी. बीजेपी सरकार की तरह कांग्रेस असंवेदशील नही है. हम शरद पवार, उद्धव जी से इस बारे में चर्चा करेंगे.


आखिर क्या है पूरा मामला


दरहसल बाई जेराबाई वाडिया हॉस्पिटल और नौरोजी वाडिया मैटरनिटी अस्पताल को बीएमसी और राज्य सरकार की ओर से कुल 229 करोड़ रुपये रिलीज किया जाना है. जहां नवरोज अस्पताल को सरकार की ओर से 113.61 करोड़ और बीएमसी द्वारा 31.44 करोड़ रिलीज करना है. तो वही वाडिया जो बच्चो के इलाज के लिए काफी प्रसिद्ध है उसे 105.85 करोड़ दिया जाना है.


वाडिया और नवरोज अस्पताल 1200 बेड क्षमता वाला अस्पताल है. एक दिन में अस्पताल में 25 नवजात शिशु जन्म लेते है और 50 एडमिट होते है. प्रदर्शन कर रहे स्टाफ का कहना है कि बीएमसी और राज्य सरकार 110 करोड़ की राशि रिलीज करे ताकि मरीज़ों का इलाज किया जा सके.


सीईओ ने क्या कहा


अस्पताल के सीईओ मिनी बोधानवाला एबीपी न्यूज़ से खास बात करते हुए कहा कि वाडिया अस्पताल ना बंद होगा और ना ही मैं बंद होने दूंगी. आज हमारे समय बहुत बड़ी समस्या खड़ी हुई है. हम जल्द इससे निपटेंगे. हम साल 2017 एमसीजीएम फंड की मांग कर रहे है. वही राज्य सरकार से हम 2013-14 मांग कर रहे है. आज हम आर्थिक समस्या से जूझ रहे है.


शाम को बीएमसी की एक बैठक हुई. मीडिया से बात करते हुए बीएमसी ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने अस्पताल पर बिना पूछे स्टाफ की नियुक्ति करने का आरोप लगाया. मामले की जांच की बात कही.


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