मुंबई: गोल्ड की कीमत ऐतिहासिक ऊंचाई पर फिर क्यों जवेरी बाजार में भट्टियों में गलाया जा रहा है सोना, जानें वजह
कोरोना वायरस से पहले सोने का भाव 30 से 35 हज़ार के बीच में था आज सोना पचास हजार के ऊपर निकल गया है. सोने का भाव दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं.
मुंबई: कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है. इस दौरान उद्योग धंधे बंद रहे. ग्रोथ का पहिया डाउन है. हर तरफ इंडिकेटर्स बिगड़ती अर्थव्यवस्था की तरफ इशारा कर रहे हैं. वही सोने का भाव चढ़ा हुआ है. सोने के इस चढ़े हुए भाव में बाजार में एक नया चलन देखने को मिल रहा है. सोने के विक्रेता सोने के बढ़े हुए भावों का फायदा उठाने के लिए बड़े पैमाने पर अपने पुराने मॉडल के सोने के आभूषणों को गला रहे हैं और नए आभूषण बनाने की तैयारी में हैं.
क्रूड ऑयल के दाम घट रहे हैं. दुनियाभर में धातुओं के दाम घट रहे हैं. शेयर मार्केट में गिरावट दिख रहा है. दुनिया में जीडीपी घट रही है. हर तरफ आर्थिक नकारात्मकता देखने को मिल रही है इन सबके बीच में सोना इतिहास रच रहा है.
कोरोना वायरस से पहले सोने का भाव 30 से 35 हज़ार के बीच में था आज सोना पचास हजार के ऊपर निकल गया है और भाव दिन-ब-दिन चढ़ते चले जा रहे हैं. ऐसे में एक नया चलन बाजार में देखने को मिल रहा है क्योंकि सोने के भाव बढ़े हुए हैं और लोग बाकी जगहों पर इन्वेस्ट करने के बजाए सोने में निवेश कर रहे हैं. लोग नए तरीके की ज्वैलरी में इंटरेस्ट दिखा रहे हैं, इसलिए सोना विक्रेता अपना पुराना स्टॉक गला कर नया स्टॉक बनाने में लगे हैं.
एबीपी न्यूज़ ने मुंबई के मशहूर जवेरी बाजार में पड़ताल की तो पता चला कि बड़े पैमाने पर लॉकडाउन के दौरान दुकानें बंद रहीं और जब खुलीं तो सोने के भाव खूब चढ़े हुए थे. इसका फायदा उठाने के लिए सोने के विक्रेता सोने को गलाने के सिलसिले में लगे हुए हैं. स्वर्ण विक्रेता यह मान रहे हैं कि जो पुराना गहना है उसको बनाने पर जो कॉस्ट लगा था आज उससे कई गुना ज्यादा उसकी कीमत है तो पुराने मॉडल जिसकी बाजार में डिमांड नहीं है उसे गलाने में कोई घाटा नहीं है.
दरअसल, सोने को गलाने का एक मुख्य कारण यह भी है कि लॉकडाउन के दौरान मार्च-अप्रैल, मई-जून की शादियों का जो सीजन था उनमें से बड़े पैमाने पर शादियां नहीं हो पाईं और शादियों की तारीख आगे बढ़ गईं. ऐसे में जब नियमों के चलते शादियों में भीड़ नहीं है तो लोगों का ज्यादा खर्चा नहीं हो रहा है और पैसे बच रहे हैं. बाजार में इस बात को लेकर माहौल है कि लोग नए मॉडल के सोने के जेवर पसंद कर रहे हैं. इसी के चलते सोना विक्रेता अपने पुराने मॉडल के आभूषणों को गलाने में लगे हैं और नए ट्रेंड का गहना बनवा रहे हैं.
एबीपी न्यूज़ की टीम उस प्रक्रिया का भी हिस्सा बनी जहां पुराने आभूषणों को गलाने की प्रक्रिया चल रही है. सबसे पहले पुराने आकार प्रकार के जेवरों को तोड़कर उसमें से कांच और दूसरे तरीके के पदार्थों को अलग किया जाता है.
कैसे गलत है सोना? स्वर्ण धातु को तोड़कर एक बर्तन में डाला जाता है. इसके बाद बर्तन में सोडा डालकर 1000 डिग्री टेंपरेचर की भट्टी पर रख दिया जाता है जहां 15 से 20 मिनट के अंदर ही सोना बिल्कुल गल जाता है और लिक्विड फॉर्म में आ जाता है.
इसके बाद एक दूसरे सांचे में इस तरल सोने को डाल दिया जाता है जहां यह सोने का बिस्किट बन जाता है इसके बाद सोने के बिस्किट से अपनी जरूरत के हिसाब से आभूषणों को बनाने का सिलसिला चलता है.