मुम्बई: भारत में स्ट्रोक को मृत्यु और अपंगत्व के सबसे प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है. सही समय रहते इलाजे नही हो पाने के चलते लोग अपनी जान गवा रहे हैं. आज स्ट्रोक की घटनाओं में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है. तेज़ी से बढ़ती इस खतरनाक बीमारी पर रोक लगाने के लिए मुम्बई में "गोल्डन ऑवर" सेवा शुरू की गई है. जहां मुम्बई के 108 इमरजेंसी एम्बुलेंस सेवा में मौजूद डॉक्टर्स को मरीज़ को स्ट्रोक्स से बचाने के लिए प्रशिक्षित किया गया.


गोल्डन ऑवर सेवा मुम्बई के परेल स्तिथ ग्लोबल हॉस्पिटल और मुंबई स्ट्रोक एसोसिएशन द्वारा शुरू की गई है. जहां मरीजो को अस्पताल के 108 इमरजेंसी एम्बुलेंस सेवा मोहैया कराने वाले 230 डॉक्टर्स को स्ट्रोक जैसी ख़तरनाक बीमारी के बारे में जागरूक किया गया. सभी 230 डॉक्टर्स को प्रशिक्षण के दौरान सिखाया गया कि अगर मरीज़ को स्ट्रोक के कारण हाथों, पैरों और स्पीच की समस्या से जूझे तो उनकी मदद कैसे करे.


ग्लोबल अस्पताल के स्ट्रोक और न्यूरोक्रिटिकल केयर के रिज़नल डायरेक्टर डॉ. शिरीष हस्तक स्ट्रोक के बारे में बड़ी सरलता से समझाया कि किस प्रकार स्ट्रोक के बाद मस्तिष्क को फिर से सक्रिय बनाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जा सकते हैं. आमतौर पर इन कदमों को ABCD3 कहा जाता है जहां A का मतलब एयरवे, B यानि ब्रिदिंग (सांस लेना), C सर्कुलेशन के लिए,D का मतलब - कमी, अवधि और दवाई. ABC काफी अच्छी तरह स्थापित है लेकिन D3 नहीं है. समय आ गया है कि स्ट्रोक को गंभीरता से लिया जाए और इस बीमारी के सिर उठाते ही इसे कुचल दिया किया जाए.


डॉ. शिरीष हस्तक के मुताबिक स्ट्रोक के 4.5 घंटों की अवधि बेहद महत्वपूर्ण होती है. आज वर्तमान में महाराष्ट्र में 937 इमरजेंसी एम्बुलेन्स है और करीब 2600 बी.ए.एम.एस या बी.यू.एम.एस डॉक्टर्स हैं. मुंबई में करीब 112 एम्बुलेंस हैं और डॉक्टरों को एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट, बेसिक लाइफ सपोर्ट और आपत्ति प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. पेशंट के पास मौके पर पहुंचने का औसत समय (सूचित किए जाने के बाद) 18.75 मिनट है और मरीज़ को मौके पर से अस्पताल पहुंचने के लिए लगनेवाला औसत समय है 26.25 मिनट. यह प्रशिक्षण सत्र मुंबई को स्ट्रोक स्मार्ट बनने और गोल्डन ऑवर के दौरान हाथों, पैरों और स्पीच को बचाने मदद करेगा. स्ट्रोक पर मात करने के लिए इमरजेंसी सेवाओं को कॉल करें और गोल्डन ऑवर में उपचार प्राप्त करें.


आपको बता दें कि आम तौर कोई व्यक्ति स्ट्रोक (पक्षाघात) का शिकार तब होता है जब किसी व्यक्ति के मस्तिष्क के हिस्से में खून की आपूर्ति में बाधा या कमी आती है. जिससे मस्तिष्क के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्राप्त होने में रुकावट आती है. इस तरह मिनटों में मस्तिष्क की कोशिकाओं का मरना शुरु हो जाता है. ये एक मेडिकल इमरजेंसी है और इसका तुरंत उपचार किया जाना ज़रुरी है. इसलिए ग्लोबल अस्पताल ने इस स्ट्रोक के मरीज़ों का उपचार करने के लिए "गोल्डन ऑवर" सेवा शुरू करने के बारे में सोचा.


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