नई दिल्ली: शायर मुनव्वर राणा का परिवार लखनऊ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है. उनकी दो बेटियों पर पुलिस ने केस भी दर्ज कर लिया है. अखिलेश यादव की बेटी की एक फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है. इस फोटो का कनेक्शन भी राणा परिवार से ही है. मुनव्वर की नातिन वारिशा इस फोटो में नजर आ रही हैं. वे कॉलेज में पढ़ती हैं. अखिलेश यादव की दो बेटी और एक बेटा अर्जुन हैं. राणा की नातिन के साथ अखिलेश की छोटी बेटी टीना की फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है. ये तस्वीर 18 जनवरी की है. जब वे लखनऊ में घंटाघर गई थीं. जहां हफ्ते भर से शाहीनबाग की तर्ज पर नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है.


देश के जाने माने शायर मुनव्वर राणा नागरिकता कानून के खिलाफ झंडा बुलंद किए हुए हैं. वे कहते हैं कि ये मुल्क के मिजाज के खिलाफ है. उनकी तबियत ठीक नहीं रहती है. लेकिन वे इस मुद्दे पर लगातार ट्वीट कर रहे हैं. मुनव्वर लिखते हैं "एक आंसू भी हुकूमत के लिए खतरा है, चूमने देखा नहीं आंखों का समंदर होना". वे लखनऊ के कैसरबाग इलाके में रहते हैं. उनकी पांच बेटियां हैं. दो बेटियों सुमैया और फौजिया घंटाघर में चल रहे प्रदर्शन की अगुवाई कर रही हैं. शाम होते ही वहां पहुंच जाती हैं. कड़ाके की ठंड के बाद भी रात भर लगातार डटी रहीं. लखनऊ का घंटाघर अब दिल्ली का शाहीनबाग बन चुका है. बीती रात पुलिस ने दोनों के खिलाफ शांति व्यवस्था भंग करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर दिया. उनके पिता मुनव्वर राणा कहते हैं कि पुलिस का काम है मुकदमा करना. तो वे कर रही है, लेकिन नागरिकता कानून देश को बर्बाद करने वाला है. इससे देश की हालत और खराब हो जाएगी.


लखनऊ पुलिस ने फौज़िया और सुमैया राणा समेत 100 महिलाओं पर धारा 144 तोड़ने पर केस किया है. केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आज लखनऊ में रैली है. नागरिकता कानून के समर्थन में ये रैली बुलाई गई है. पुलिस ने उससे पहले ही प्रदर्शन करने वाली महिलाओं पर कार्रवाई कर दी है. मुन्नवर राणा कहते हैं आज देश की बेटियां कर रही हैं. सरकार वो भी नहीं करने दे रही है. सुमैया राणा कहती हैं. इन मुकदमों से हम डरने वाले नहीं हैं. हमारा आंदोलन संविधान बचाने के लिए हैं. हम जब वहां अपनी बहन के साथ धरने पर गए थे, तब 144 नहीं लगी थी. पुलिस हमें जान बूझ कर परेशान कर रही है.


जब अवार्ड वापसी की होड़ मची थी. तब मुन्नवर राणा भी अवार्ड वापसी करने वालों में शामिल थे. वह देश के हालातों से नाराज़ थे. फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बुलाया. उसके बाद उनका मन बदल गया था. एबीपी न्यूज़ के एक कार्यक्रम में बैठे बैठे ही उन्होंने साहित्य अकादमी का अवार्ड लौटाने का एलान कर दिया था. ये बात 2017 की है. तब देश भर में दादरा के अखलाक कांड को लेकर हंगामा मचा हुआ था. मोदी से मिलने के बाद मुन्नवर ने कहा था कि मुझे उम्मीद है कि पीएम 60 साल की गलतियों को 5 सालों में ठीक कर लेंगे. वहीं मशहूर शायर मुन्नवर राणा मोदी सरकार से दुखी हैं. मां पर लिखे उनके शेर पूरा देश पढ़ता और गुनगुनाता है. उनका एक मशहूर शेर है.


"किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई,
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई"


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