बेटियों पर केस दर्ज होने पर बोले शायर मुनव्वर राणा, हुकूमत कान में तेल डालकर बैठी है
लखनऊ में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने पर मुनव्वर राणा की दो बेटियों सुमैया राणा, फैजिया राणा समेत करीब 125 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था. जिसके बाद अब शायर मुनव्वर राणा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने पर मशहूर शायर मुनव्वर राणा की बेटियों पर केस दर्ज किया गया था. जिसके बाद अब उन्होंने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. सीएए को लेकर भी उन्होंने सरकार पर निशाना साधा है. राणा ने अपनी प्रतिक्रिया में एक शायरी भी कही.
शायर मुनव्वर राणा ने कहा, "सीएए को लेकर पूरे मुल्क में विरोध हो रहा है. यह अलग बात है की हुकूमत कान में तेल डालकर बैठी है. उसको कुछ सुनाई नहीं देता. वह अपनी मनमर्जी कर रही है. सरकार इस गलतफहमी में है कि हम इतनी सीटें जीत के लाए हैं. कांग्रेस पार्टी भी पूर्ण बहुमत में आई थी, लेकिन उसके बाद भी उसका सब कुछ खत्म हो गया."
राणा ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी को भी सोचना चाहिए कई सालों की मेहनत के बाद यहां तक पहुंचे हैं. सरकार ने सीएए में एक समुदाय को टार्गेट किया गया. इसका मतलब सरकार का सबका साथ सबका विकास का नारा झूठा है."
बेटियों पर केस दर्ज होने के मामले में उन्होंने कहा, "लखनऊ में घंटाघर पर जो प्रोटेस्ट हुआ. उसमें हमारी लड़कियां भी शामिल थीं. हमारी बेटियां कोई छोटी नहीं हैं, वह बड़ी हैं और अपनी जिम्मेदारी को समझती हैं. उनको हमनें यही कहा कि कोई ऐसी बात ना करें जो संविधान के खिलाफ हो, जिससे किसी को बुरा लगे, लेकिन जो सरकार का रवैया है धारा 144 लगा दी. आज हमारे शाह जो हिंदुस्तान के शहंशाह हैं उनके लिए कोई धारा 144 नहीं है."
राणा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, हमको लगता है इतना खराब कानून हिटलर ने भी नहीं रखा था. हमारी बेटियां भविष्य के लिए परेशान हो रही हैं. उसके लिए प्रोटेस्ट कर रही हैं. उसे नजर अंदाज किया जा रहा है. सरकार का नारा बेटी पढ़ाओ बेटी बढ़ाओ और दूसरी तरफ प्रोटेस्ट कर रहीं उन बेटियों के लिए टॉयलेट्स बंद कर दिए गए हैं, कंबल छीन लिए गए हैं. सरकार शोचालय बनाने का आदेश देती है वहीं दूसरी तरफ महिलाओं के शौचालय बंद कर देती है.
बेटियों पर हुई एफआईआर पर शायर मुनव्वर राणा ने कहा, "जो काम हुकूमत का है वह हुकूमत कर रही है जो काम प्रोटेस्ट करने वालों का है वो प्रोटेस्ट कर रहे हैं. पुलिस को वहां धारा 144 नहीं लगानी चाहिए थी." आखिर में राणा ने एक शेर भी कहा. "लाख पैहेरे हो लगे शहर के दरवाजों पर, इंकलाब आने को होता है तो आ जाता है."
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