नई दिल्ली: मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन को इंसानियत के लिये बड़ा नुकसान बताया है. उनका कहा है कि इसकी भरपायी कर पाना आसान नहीं है. उन्होंने वाजपेयी के साथ अपनी यादें साझा करते हुए बताया कि संसद भवन में एक कार्यक्रम के दौरान शायरों और कवियों की महफिल में अटल जी ने मंच पर बैठने के बजाय श्रोताओं के बीच बैठना पसंद किया. इतना ही नहीं उन्होंने खुद को अदना सा कवि बताते हुये बड़ी ही शालीनता से अपनी कवितायें पढ़ने से खुद को दूर रखा.
मुनव्वर राणा ने कहा ''वाजपेयी की शख्सियत में नफरत के लिये जगह ही नहीं थी, यही वजह है कि आज उनके न रहने पर पाकिस्तान में भी हजारों लोग रोए होंगे.'' कवि परंपरा के लिए वाजपेयी के निधन को नुकसान बताते हुये उन्होंने कहा कि पं. नेहरू और गुजराल भी कविताओं के मुरीद थे लेकिन वाजपेयी मुल्क के एकमात्र प्रधानमंत्री थे जो खुद कवि भी थे.
मुनव्वर राणा ने एक बार दिल्ली से लखनऊ तक अपने सफर को याद करते हुये बताया, ''हवाईअड्डे पर मुलाकात के बाद वाजपेयी जी ने हवाई जहाज में अपने सहायक से कहा कि हम दोनों अगल बगल की सीट पर ही सफर करेंगे. हम दोनों ने लखनऊ तक का सफर कविताओं के आदान प्रदान के साथ तय किया.'' वाजपेयी के फकीराना अंदाज को याद करते हुये उन्होंने अपना एक शेर कहा ''हम अभी हैं तो हुनर हमसे हमारे ले लो, वरना हम भी एक दिन दीवार में लग जायेंगे.’’