Mundka Fire: दिल्ली के मुंडका इलाके में बीते शुक्रवार एक बड़ी घटना हुई. एक इलेक्ट्रानिक गोदाम में आग लगने के कारण होने वाले 27 लोगों की मौत से पूरी दिल्ली शोक में है, अब सवाल उठ रहा है आखिर इस घटना का ज़िम्मेदार कौन है. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कंपनी के दो मालिक सहित बिल्डिंग के मालिक मनीष लाकड़ा को तो गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन बिल्डिंग में इस तरह कमर्शियल एक्टिविटी कैसे चल रही थी. इसका जवाब नहीं मिल पाया है. दिल्ली पुलिस ने सोमवार देर शाम मनीष लाकड़ा को अदालत में पेश कर दो दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया है.
दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक मनीष लाकड़ा ने पूछताछ में बताया कि साल 2011 में मनीष लाकड़ा के पिता बलजीत लाकड़ा ने ये बिल्डिंग खरीदी थी. जो साल 2016 में उसके नाम हुई थी. करीब 7 साल पहले इसके पिता बलजीत लाकड़ा का निधन हो गया था.
पिता के निधन के बाद मनीष लाकड़ा का अपने बड़े भाई से पैसों को लेकर विवाद रहने लगा था. साल 2016 में उसने इस प्लाट पर कमर्शियल एक्टिविटी के लिए MCD से लाइसेंस लिया था. जिसे बाद में किसी की शिकायत के बाद एमसीडी ने कैंसल कर दिया था. एमसीडी ने लाइसेंस 2017 में कैंसिल किया था.
सूत्रों का कहना है कि लाकड़ा ने पूछताछ में बताया कि बिना इजाजत के ही बिल्डिंग में कमर्शियल एक्टिविटी चल रही थी. क्योकि ये ज़मीन लाल डोरे कर अंदर आती हैं. वहीं इस बिल्डिंग बनाने का भी नक्शा पास नही करवाया था. न ही उसके पास किसी भी संबंधित विभाग की एनओसी थी.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने घटना स्थल का लिया जायज़ा
इसी बीच मंगलवार दोपहर अग्निकांड में मारे गए लोगों के अधिकारों की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम आज मुंडका स्थित उस फैक्टरी पर पहुंची जहां शुक्रवार को ये ख़ौफ़नाक हादसा हुआ. 4 सदस्यों की एक टीम ने घटनास्थल का जायज़ा लिया. करीब सवा 1 बजे एनएचआरसी की टीम यहां पहुंची जिनके साथ लोकल पुलिस के एसएचओ भी मौजूद थे. टीम ने करीब 45 मिनट रुककर तीनो फ्लोर का जायज़ा लिया और हर चीज़ को फाइल में नोट करके ले गई. दरअसल मुंडका अग्निकांड की जानकारी मिलने के बाद राष्ट्रीय मनावधिकार आयोग ने इस मामले में स्वता संज्ञान लिया और दिल्ली सरकार को पूरे मामले के जानकारी देने के लिए दो हफ़्तों का वक़्त दिया और मामले की गंभीरता को देखते हुए खुद मौका मुआयना करने आई थी. दिल्ली से वरुण जैन की रिपोर्ट.
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