आखिर भारत के जनमानस में 'मुंगेरी लाल के हसीन सपने' मुहावरा कैसे बना
90 के दशक में दूरदर्शन पर आने वाले सभी धारावाहिक की अपनी अलग पहचान है. उस समय के धारावाहिकों को देखने वाले दर्शकों के जहन में तस्वीरें आज भी बसी हुई हैं.
'मुंगेरीलाल के हसीन सपने' मतलब दिन में ख्वाब देखना. आज के दौर में ये लाइन एक मुहावरे के तौर पर आम बोलचाल का हिस्सा बन गई है. लेकिन शायद कम लोग ही जानते होंगे कि 80 के दशक में ये एक सीरियल का नाम हुआ करता था. साल 1989-90 में दूरदर्शन पर आने वाला 'मुंगेरीलाल के हसीन सपने' धारावाहिक काफी ज्यादा लोकप्रिय था. ये इतना लोकप्रिय हो गया कि लोग इस वाक्य को आम बोलचाल में इस्तेमाल करने लगे और आज ये एक मुहावरा बन गया. इस मुहावरे को दिन में सपने देखने वालों और खुली आंखों से सपने देखने वालों के लिए इस्तेमाल करने लगे.
80 और 90 के दशक में दूरदर्शन पर आने वाले सभी धारावाहिक की अपनी अलग पहचान है. तब पूरे मोहल्ले में किसी एक घर में ब्लैक एंड वाइट टीवी हुआ करता था और सभी लोग उस घर में जाकर एक साथ टीवी देखा करते थे. उस समय के धारावाहिकों को देखने वाले दर्शकों के जहन में तस्वीरें आज भी बसी हुई हैं. उन्हें शायद कभी भुलाया नहीं जा सकता है. शायद इसकी वजह ये है कि वो धारावाहिक आम लोगों के जीवन की सच्चाई को बहुत अच्छे से ब्यां करते थे.
'मुंगेरीलाल के हसीन सपने' धारावाहिक की कहानी 'मुंगेरीलाल के हसीन सपने' धारावाहिक को प्रकाश झा ने बनाया था, जो आज बॉलीवुड के महान निर्देशक हैं. एक्टर रघुवीर यादव मुख्य भूमिका यानि कि मुंगेरीलाल के रोल में थे. मुंगेरीलाल की हरकत को देखकर दर्शक खूब ठहाके लगाते थे. यहां तक कि बाद में भी उसके बारे बातें करते हुए खूब हंसते थे.
धारावाहिक की बात करें तो, मुंगेरीलाल बिहार के मुंगेर जिले में रहता था. वो अपने सात भाई-बहनों में सबसे बड़ा था. पढ़ाई में काफी अच्छा था. साहित्य, संस्कृत और दर्शनशास्त्र में ट्रिपल एमए कर रखा था. लेकिन शहर में उसकी कोई अहमियत नहीं थी. सब उसे बेकार समझते थे. हर कोई दोस्त, रिश्तेदार उसपर अपना हुकुम चला लिया करता था. कोई भी कुछ भी बोल देता था. मुंगेरीलाल की पत्नी अक्सर सुनाती रहती थी. ससुर से भी मुंगेरीलाल की नहीं बनती थी.
मुंगेरीलाल एक कंपनी में अकाउंटेंट की नौकरी करते थे. वहां बॉस काफी गुस्से वाले थे. मुंगेरी को देखते ही बरस पड़ते थे. यहां तक कि कंपनी के दूसरे कर्मचारी और चपरासी भी मुंगेरी की टांग खींचते थे. लेकिन मुंगेरी बॉस की सेक्रेटरी पर फिदा थे, उनके हर काम को झट से हां बोल दिया करते थे.
लेकिन मुंगेरीलाल को सिर्फ एक जगह राहत मिलती थी, वो है सपनों की हसीन दुनिया. मुंगेरीलाल के आस-पास मौजूद हर एक इंसान उसके सपने का पात्र होता है. मुंगेरीलाल कल्पनाशील मन सपना देखता है कि कैसे बॉस उसके साथ अच्छा व्यवहार कर रहा है, पत्नी उसकी सारी बातें सुन रही है, ससुर जी अच्छे से पेश आ रहा हैं. लेकिन जब अचानक मुंगेरीलाल सपने से बाहर आते हैं तो हकीकत कुछ और ही होती है.
इस तरह धारावाहिक 'मुंगेरीलाल के हसीन सपने' का हर एक एपिसोड मुंगेरीलाल के सपनों की अलग-अलग कहानी दिखाता है. इसे बहुत ही रोचक तरीके से दिखाया जाता है. हर एक एपिसोड दर्शकों को अंत तक जोड़ा रखता था.
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