दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद अब सबकी निगाहें मेयर के चुनाव पर हैं. निगम का नया मेयर कौन होगा? ये हर कोई जानना चाहता है, क्योंकि निगम के एकीकरण और चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के बाद पहली बार एकीकृत निगम का पहला मेयर चुना जाएगा. मेयर कौन होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि दिल्ली नगर निगम की पहली मेयर एक महिला ही बनेगी.
दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक, चुनाव के बाद महापौर और उपमहापौर का पद महिलाओं के लिए आरक्षित रखा गया है. ऐसे में पहले साल में महिला पार्षद ही महापौर और उपमहापौर बनती हैं. क्योंकि पांच साल के कार्यकाल में हर साल नया मेयर चुना जाता है तो उसमें पहला साल महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है, जबकि तीसरा साल अनुसूचित जाति से चुने हुए पार्षदों के लिए आरक्षित रखा गया है और बाकि साल जनरल सीट के लिए है.
दिल्ली में कैसे होता है मेयर का चुनाव ?
कुल 250 वार्डों में से ही एक महिला पार्षद को महापौर नियुक्त किया जाएगा और जिस पार्टी के पास बहुमत होगा उसी पार्टी का मेयर बनना लगभग तय माना जाता है. लेकिन यदि कोई पार्षद दूसरे दल के मेयर उम्मीदवार को अपना वोट देता है तो समीकरण बदल भी सकता हैं क्योंकि निगम में दल बदल कानून या व्हिप लागू नहीं होता. मेयर के चुनाव के लिए किसी भी पार्टी के पार्षद को किसी भी उम्मीदवार को वोट देने का अधिकार है, ये प्रक्रिया पूरी तरीके से गुप्त रहती है. यानि की कोई भी पार्षद अपनी पार्टी के उम्मीदवार के अलावा किसी अन्य उम्मीदवार को वोट दे सकता है. निगम में क्रॉस वोटिंग पर किसी पार्षद की सदस्यता रद्द नही होती.
मेयर के लिए चुनाव के लिए सभी चुने गए 250 पार्षदों के साथ साथ 3 राज्यसभा सांसद, 7 लोकसभा सांसद और 13 विधानसभा सदस्य मतदान करते हैं और क्योंकि आम आदमी पार्टी ने 250 वोर्डों में से 134 वोर्डों पर जीत हासिल की है. तो इस पार्टी से मेयर बनने के ज्यादा आसार हैं. कुल मिलाकर 273 सदस्य मेयर के चुनाव के लिए मतदान करेंगे जिसके मुताबिक 137 बहुमत का आंकड़ा होगा और जिसे ये बहुमत मिलेगा वहीं अगला मेयर चुना जाएगा. क्योंकि आम आदमी पार्टी के 134 पार्षद चुने गए हैं और 3 राज्यसभा सांसद भी 'आप' पार्टी से ही हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी के मेयर उम्मीदवार को बहुमत मिल सकता है और क्योंकि पहला पार्षद किसी महिला को ही बनाया जाएगा तो ऐसे में जानते हैं 'आप' के पास कितनी महिला पार्षद हैं..
ये नाम हैं रेस में...
आम आदमी पार्टी के 134 जीतने वाले पार्षदों में 78 महिला पार्षद हैं, जिसमें दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में महिला पार्षदों ने जीत का परचम लहराया है. इन 78 महिला पार्षदों में से ही किसी एक को मेयर और किसी एक को डिप्टी मेयर बनाया जा सकता है. आम आदमी पार्टी की 78 महिला पार्षदों में जो नाम रेस में हैं उनमें सारिका चौधरी, प्रोमिला गुप्ता, पूनम भारद्वाज, रेखा चौधरी, सरिता फोगाट, रवींद्र कौर और निर्मला कुमारी हैं. हालांकि पार्टी की तरफ से अभी कोई आधिकारिक सूचना इसको लेकर जारी नहीं की गई है. पार्टी कई नामों पर मंथन कर रही है.
पार्टी मेयर के लिए पद के लिए ऐसे नाम पर विचार कर रही है जो कि अनुभवी और सीनियर हो, जिसमें नेतृत्व की भूमिका हो और लोगों से जुड़ते हुए उनकी समस्याओं को समझे और अधिकारियों से उनके काम आसानी से करवा सके. निर्मला कुमारी जोकि आम आदमी पार्टी की महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. साथ ही दिल्ली महिला आयोग की सदस्य भी हैं. जो लगातार समाज की महिलाओं की समस्याओं और उनके अधिकारों के लिए काम करती आई हैं. इसके अलावा प्रोमिला गुप्ता जो एक सीनियर महिला होने के साथ साथ डीसीडब्ल्यू की सदस्य हैं. सारिका चौधरी भी लगातार पार्टी में सक्रिय भूमिका में हैं. ये सभी महिलाएं पिछले काफी समय से पार्टी से जुड़ी हुई हैं और समाज के लोगों के लिए अलग अलग भूमिका में काम करती आई हैं.
इसके साथ ही बीजेपी ने निगम में कुल 104 सीटें जीती हैं जिसमें से जीतने वाली महिला पार्षदों की संख्या 51 है.
वहीं कांग्रेस के पाले में आई कुल 9 सीटों में से 6 सीटें महिला पार्षदों ने अपने नाम की हैं. इसके अलावा 2 महिला पार्षद ऐसी हैं जिन्होंने किसी दल के साथ ना आकर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इस तरह से इस चुनाव में कुल 250 सीटों में से 135 महिला पार्षदों ने जीत हासिल की है.
दिल्ली में अभी 15 दिसंबर तक आचार संहिता लागू है. 15 दिसंबर के बाद दिल्ली नगर निगम की ओर से एलजी को पत्र लिखकर पहली बैठक और मेयर के चुनाव के लिए प्रिसाइडिंग ऑफिसर नियुक्त को करने के लिए अनुमति ली जाएगी. जिसके बाद निगम की पहली बैठक में मेयर के लिए चुनाव को लेकर प्रक्रिया पर चर्चा हो सकती है.
फिर निगम मेयर के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने को लेकर नोटिफिकेशन जारी करेगा. जिसके बाद फिर पूरी प्रक्रिया की जाएगी. हालांकि निगम के एक्ट के मुताबिक मेयर का चुनाव अप्रैल के महीने में होता है लेकिन क्योंकि निगम के एकीकरण के बाद केंद्र सरकार ही निगम को लेकर सभी जरूरी फैसले ले रही हैं. ऐसे में चुने हुए 250 पार्षदों में से 10 मनोनीत सदस्यों से लेकर मेयर के चुनाव के समय को लेकर भी कई फेरबदल हो सकते हैं. इसी के साथ इस साल निगम का एकीकरण किया गया है जिसके बाद निगम के 272 वार्डों की संख्या घटाकर 250 कर दी गई और फिर चुनावों में भी देरी हो गई. ऐसे में यदि मौजूदा एक्ट के मुताबिक यदि अप्रैल में पहले मेयर का चुनाव होता है तो उनका कार्यकाल केवल 3 महीने का ही रह जाएगा. हालांकि अभी स्थिति पूरी तरीके से साफ नहीं हैं....