Kerala Murine Typhus: केरल के एक 75 साल शख्स में शुक्रवार, 11 अक्टूबर को म्यूरिन टाइफस नाम की एक दुर्लभ जीवाणुजनित बीमारी का पता चला. हाल ही में इन्होंने वियतनाम और कंबोडिया की यात्रा की थी और लौटने पर उन्हें शरीर में भयंकर दर्द और थकान का एहसास हुआ. इसके बाद मरीजन ने डॉक्टर से कंसल्ट किया तो डॉक्टर ने चूहे और पिस्सू से होने वाली बीमारियों का टेस्ट कराया.


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि इन टेस्ट में कोई संतोषजनक नतीजे नहीं मिले, लेकिन यह पाया गया कि उसके लिवर और किडनी की हालत खराब हो रही थी. मरीज की यात्रा के इतिहास को देखते हुए डॉक्टरों को संदेह था कि उसे म्यूरिन टाइफस हो सकता है. फिर नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (NGS) तकनीक का उपयोग किया गया. इसमें पहचान के लिए माइक्रोबियल डीएनए का उपयोग किया जाता है. पुष्टि के लिए CMC वेल्लोर में आगे के परीक्षण किए गए.


म्यूरिन टाइफस क्या है?


म्यूरिन टाइफस एक दुर्लभ संक्रामक जीवाणु रोग है, जो हाल ही में केरल के एक व्यक्ति में पाया गया था. यह आमतौर पर पिस्सू जनित बैक्टीरिया रिकेट्सिया टाइफी के कारण होता है और संक्रमित पिस्सू के मनुष्य को काटने पर फैलता है. इस बीमारी को स्थानिक टाइफस, पिस्सू जनित टाइफस या पिस्सू जनित धब्बेदार बुखार के रूप में भी जाना जाता है. चूहे और नेवले इस बीमारी के वाहक माने जाते हैं.


कुछ मामलों में बीमारी फैलाने वाला पिस्सू बिल्लियों और कुत्तों जैसे पालतू जानवरों में भी पाया जाता है. एक बार पिस्सू संक्रमित हो जाने पर यह जीवन भर बीमारी फैला सकता है.


म्यूरिन टाइफस कैसे फैलता है?


यह बीमारी तब फैलती है जब संक्रमित पिस्सू का मल त्वचा पर किसी कट या खरोंच के संपर्क में आता है. म्यूरिन टाइफस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में या एक व्यक्ति से पिस्सू में नहीं फैलता है. भारत में पूर्वोत्तर, मध्य प्रदेश और कश्मीर में ऐसे दुर्लभ जीवाणु संक्रमण की जानकारी मिली है.


म्यूरिन टाइफस के लक्षण क्या हैं?


लक्षण, जो ज्यादातर संपर्क के सात से 14 दिनों के बाद दिखाई देते हैं जिसमें, बुखार आना, सिरदर्द होना, शरीर में दर्द होना, जोड़ों में दर्द, मतली, उल्टी, पेट में दर्द और त्वचा पर चकत्ते पड़ना शामिल हैं. ये बीमारी अक्सर दो सप्ताह से अधिक समय तक रहती है लेकिन अगर इलाज न किया जाए तो जटिलताओं के साथ महीनों तक रह सकती है.


म्यूरिन टाइफस का क्या है इलाज?


जहां तक ​​उपचार की बात है, मौजूदा समय में इस बीमारी का कोई टीका नहीं है, लेकिन डॉक्सीसाइक्लिन जैसे एंटीबायोटिक्स हैं जो म्यूरिन टाइफस के उपचार के लिए एक महत्वपूर्ण दवा के रूप में उपयोग किए जाते हैं. समय पर उपचार न मिलने पर यह रोग एक या दो सप्ताह में गंभीर हो सकता है साथ ही दुर्लभ मामलों में घातक भी हो सकता है.


म्यूरिन टाइफस को कैसे रोका जा सकता है?


जिन घरों में पालतू जानवर हैं उन्हें नियमित रूप से उन्हें धोने और पिस्सू के लक्षणों के बारे में जागरूकता के माध्यम से पिस्सू से दूर रखना चाहिए. अगर जरूरत हो तो पिस्सू उपचार किया जाना चाहिए.


ये भी पढ़ें: भारत में मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि, केंद्र सरकार ने किया आधिकारिक ऐलान