(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
नागरिकता संशोधन कानून के ख़िलाफ़ मुस्लिम समुदाय का लखनऊ में विरोध-प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया है.
लखनऊ: नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस कानून का विरोध किया है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के बैनर तले मुस्लिम समुदाय के लोग लखनऊ के घंटा घर पर इकट्ठा हुए और सरकार से कानून को वापस लेने की मांग की.
प्रदर्शनकारियों ने हाथों में नागरिकता कानून वापस लेने और एनआरसी के बहिष्कार वाले पोस्टर्स ले रखे थे. साथ ही केंद्र सरकार के रुख़ के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी कर मुसलमानों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस कानून को वापस लिए जाने की अपील की. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो शांतिपूर्वक अपना विरोध दर्ज कराने के लिए इकट्ठा हुए हैं और ये विरोध आगे भी जारी रहेगा.
प्रदर्शनकारियों ने क्या कहा
लखनऊ के घंटाघर पर विरोध प्रदर्शन करने वालों में एक महिला असम की रहने वाली थीं. उन्होंने दावा किया कि असम में उनके परिवार ने बताया कि वहां के हालात ठीक नहीं हैं. प्रदर्शनकारी महिला ने कहा कि उनका विरोध इस कानून को लेकर यह है कि भारत एक विकासशील देश है और यहां के लोगों की ग़रीबी दूर हुई नहीं और सरकार दूसरे देशों से लोगों को लाकर भारत में बसाना चाहती है. ऐसे में भारत के अल्पसंख्यकों के विकास का सरकार नहीं सोच रही लेकिन पड़ोसी देशों से लोगों को यहां बसाने की चिंता हो रही है.
यहीं मौजूद एक और प्रदर्शनकारी ने कहा कि मुसलमानों को दरकिनार करने के लिए सरकार ने यह कानून बनाया है. पीएम मोदी के बयान जिसमें उन्होंने कहा है कि मुसलमानों को डरने की ज़रूरत नहीं है पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि 2014 से सिर्फ नारे दिए जा रहे हैं लेकिन मुस्लिमों के लिए किया कुछ नहीं जा रहा है. ऐसे में आज मुस्लिम समुदाय के लोग शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने इकट्ठा हुए हैं.
क्या है नागरिकता कानून
आपको बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास कराने के बाद कल देर शाम राष्ट्रपति ने इस बिल को मंज़ूरी दे दी, जिसके बाद यह बिल अब कानून बन गया है. इसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आये वहां के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. इसमें हिन्दू, जैन, सिख, पारसी, बौद्ध और ईसाई शामिल हैं.
ऐसे जितने भी शरणार्थी हैं जो पाकिस्तान, बंगलादेश या अफगानिस्तान से 2014 के पहले भारत आये थे, उन्हें अब नागरिकता मिल जाएगी. इसमें मुसलमानों को शामिल न किये जाने को लेकर देश के कई हिस्सों में मुस्लिम समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं.
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