Ganapati: हैदराबाद के सिकंदराबाद में भगवान गणेश की एक प्रतिमा को लेकर विवाद हो गया. शहर में यूथ एसोसिएशन ने गणेश उत्सव के लिए फिल्म बाजीराव मस्तानी का थीम चुना था. जिसके बाद लोगों ने दावा किया कि प्रतिमा 'मुस्लिम गणपति' की है. दरअसल प्रतिमा में भगवान गणेश की वेशभूषा को पारंपरिक तरीके से इतर पहनाया गया है. इससे समुदाय के कुछ सदस्यों ने इस पर आपत्ति जाहिर की है. 


आपत्तियों को लेकर उत्सव के आयोजकों ने कहा कि इस उत्सव का थीम फिल्म से प्रेरित था. हालांकि फाइनल प्रेजेंटेशन उम्मीद के मुताबिक नहीं थी. हम किसी को बढ़ावा नहीं दे रहे थे लेकिन जिस तरह से चीजें सामने आईं, लोगों ने हमें गलत समझा. हमारे इरादों को गलत समझा गया लेकिन हम यहां किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं है.


आयोजकों ने कहा, "थीम का आउटपुट सही नहीं था. लेकिन हम इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे. हम बस गणपति बप्पा के साथ आगे बढ़ रहे हैं और हम किसी तरह का विवाद नहीं चाहते हैं."


भगवान गणेश क्यों हैं हिंदुओं के अराध्य?


भगवान गणेश की पूजा हर साल होती है, इस त्योहार को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. भगवान गणेश हिंदुओं के अराध्य हैं. किसी शुभ काम या पूजा-पाठ में सबसे पहले उनकी अराधना की जाती है. उनके अग्रपूजक बनने के एक कहानी सबसे प्रचलित है. कहा जाता है कि एक बार देवताओं के बीच धरती की परिक्रमा करने की प्रतियोगिता हुई, जिसमें जो सबसे पहले परिक्रमा पूरी करके लौटता, उसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता.


की थी शिव और पार्वती की परिक्रमा


इस प्रतियोगिता में गणेश भगवान के वाहन मूषक को देखते हुए उन्होंने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और अपने माता-पिता शिव और पार्वती की ही परिक्रमा कर ली. इस प्रकार, उन्होंने पूरी ब्रह्मांड की परिक्रमा कर ली. इस चतुराई को देखकर सभी देवताओं ने सहमति जताई और ब्रह्मा जी ने उनकी अनुशंसा की. इसके बाद गणेश जी को अग्रपूजक माना गया. इस कहानी के पीछे और भी कथाएं हैं, और पंच देवोपासना में भगवान गणपति का विशेष स्थान है.


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