नई दिल्ली: बोहरा मुस्लिम समुदाय में औरतों का खतना करने की प्रथा के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 16 जुलाई को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने इस प्रथा पर हैरानी जताई और कहा कि बच्चों के साथ ऐसा करना पोक्सो एक्ट के उल्लंघन का मामला हो सकता है. शीर्ष अदालत ने महिला के निजी अंग को स्पर्श किये जाने को पहली नजर में गलत माना.


सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने खतना की प्रथा पर केंद्र सरकार से राय मांगी. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि धार्मिक रीति-रिवाजों के पालन का मौलिक अधिकार कुछ सीमाओं से बंधा है. ये नैतिकता के लिहाज से सही और स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाने वाला होना चाहिए. जैसे कभी सती प्रथा को इस दलील के बावजूद बंद किया गया कि ये धर्म का जरूरी हिस्सा है.


चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ से उन्होंने कहा कि इस प्रथा से बच्ची को ऐसा नुकसान पहुंचता है जिसे भरा नहीं जा सकता और इसको प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और 27 अफ्रीकी देशों में इस प्रथा पर रोक लगी हुई है.


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मुस्लिम समुदाय की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी ने कहा कि मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाना चाहिए क्योंकि यह एक धर्म की आवश्यक प्रथा का मामला है, जिसकी जांच की आवश्यकता है. सिंघवी ने दलील दी कि इस्लाम में पुरुषों का खतना सभी देशों में मान्य है. पीठ ने पूछा , ‘‘ किसी एक व्यक्ति की शारीरिक अखंडता क्यों और कैसे एक आवश्यक प्रथा हो सकती है?’’


खतना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में वकील सुनिता तिवारी ने याचिका दाखिल की है. जिसमें इस प्रथा को सम्मान से जीने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन बताया गया है.


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क्या होता है लड़कियों का खतना?
महिलाओं के खतना का चलन सिर्फ बोहरा मुसलमानों के बीच है. जब लड़की बहुत छोटी होती है तो खतने को अंजाम दिया जाता है. अधिकतर मौकों पर छह-सात साल की छोटी उम्र में ही खतना किया जाता है. इसके तहत लड़की के जननांग के बाहरी हिस्से यानि क्लिटरिस को काट दिया जाता है या बाहरी त्वचा निकाल दी जाती है. इस दौरान बच्चियों को काफी तकलीफ होती है क्योंकि खतना से पहले एनीस्थीसिया भी नहीं दिया जाता. पारंपरिक तौर पर इसके लिए ब्लेड या चाकू का इस्तेमाल किया जाता है.


कौन हैं बोहरा मुसलमान?
भारत में बोहरा मुसलमानों की आबादी पश्चिम और दक्षिण भारत में है. इनकी आबादी गुजरात और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा है. राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी इनकी कुछ आबादी है. इनकी आबादी भारत के बाहर अरब देशों और यूरोप में हैं. भारत में इनकी कुल आबादी महज़ 10 लाख है, लेकिन शैक्षणिक और आर्थिक तौर पर ये काफी समृद्ध और मजबूत समुदाय है. इस समुदाय का मुसलमानों के दूसरे समुदाय से मिलनाजुलना काफी कम है. इस समुदाय पर अपने धार्मिक रहनुमा का बहुत ही ज्यादा असर होता है और समुदाय के खिलाफ बोलने पर अपने समाज में अलग-थलग पड़ने का डर रहता है इसलिए खतना के खिलाफ बोहरा समाज से आवाज़ नहीं उठ पाती.