मुस्लिम लीग की महिला शाखा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. इस पत्र में 18 से 21 वर्ष की महिलाओं की कानूनी विवाह के लिए योग्य उम्र को बढ़ाने के लिए प्रस्तावित कदम का विरोध किया है, इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए उन्होंने महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे पर जल्दबाजी में निर्णय ना लेने का आग्रह किया है.
भारतीय संघ महिला लीग के सचिव पी के नूरबाना रशीद द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि शादी की उम्र में देरी से लिव-इन रिलेशनशिप और नाजायज संबंध को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने पत्र में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 को लागू करने के बजाय महिलाओं के विवाह के लिए योग्य उम्र बढ़ाने के प्रयासों को अनुचित बताया. साथ ही कहा कि जब मौजूदा कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जाता है तो ऐसे निर्णय लेने का क्या मतलब है?
पिछले साल केरल में कम उम्र में विवाह के 300 मामले सामने आए थे. एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में 30% महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो रही है. आगे उन्होंने कहा कि एक निर्णय पर पहुंचने से पहले उचित बातचीत करनी चाहिए थी, बिना बात किए निर्णय ले लेना अनुचित है.
जया जेटली के नेतृत्व में हुआ था 10 सदस्यीय टीम का गठन
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने शादी के लिए महिलाओं की उम्र बढ़ाने पर विचार करने के लिए जया जेटली के नेतृत्व में 10 सदस्यीय टीम का गठन किया था. इस टीम ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें 18 से 21 वर्ष की महिलाओं के विवाह के लिए योग्य उम्र बढ़ाने की सिफारिश की गई है.
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