गाजियाबाद के लोनी में मारपीट के शिकार बने बुजुर्ग अब्दुल समद के बेटे का क्या दावा है? जानें
गाजियाबाद में मारपीट के शिकार बने अब्दुल समद के बेटे बबलू सैफी ने आरोप लगाया है कि पुलिस इस मामले को भटकाने में जुटी है. बबलू का कहना है कि लोनी थाने के इंस्पेक्टर इस पूरे मामले को रफा-दफा करने के लिए कह रहे हैं.
नई दिल्ली: गाजियाबाद जिले में बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति समद सैफी की पिटाई और जबरन उनकी दाढ़ी काटने के आरोपों को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. इस मामले में पुलिस सांप्रदायिक पहलू से इनकार कर रही है और अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.
पुलिस का कहना है कि अब्दुल समद की पिटाई करने वालों में हिन्दू-मुसलमान मिलाकर कुछ छह लोग शामिल थे और सभी उनके द्वारा बेचे गए ताबीज को लेकर नाखुश थे.
पुलिस के दावों को अब्दुल समद का परिवार खारिज कर रहा है. एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में अब्दुल समद के बड़े बेटे बबलू सैफी ने कहा कि पुलिस इस मामले को भटकाने में जुटी है.
पिता के साथ क्या हुआ? किया ये दावा
मेरे पिता 5 जून की सुबह अनूपशहर से दिल्ली के लिए गए थे. वह बस से पहले सीमापुरी पहुंचे, वहां से वह शहीद नगर, गाजियाबाद गए. जहां मेरी फूफी रहती हैं. शहीद नगर में वह गली भूल गए, जिसके बाद उन्होंने लोनी के लिए ऑटो लिया. लोनी उतरने के बाद वह नहर पहुंचे. वहां से फिर उन्होंने ऑटो लिया. उन्हें बेहटा जाना था. हमारे किसी परिचित की मौत हो गई थी, अप्रैल में. लॉकडाउन की वजह से वहां जा नहीं पाए थे, इसलिए 5 तारीख को वह गए थे. उनकी उम्र 72 साल है. नहर के पास उन्हें एक ऑटो मिला. जिसमें वे सवार हो गए. ऑटो वाले ने नहर के रास्ते ले जाना शुरू किया और रास्ते में दो सवारी और चढ़ी फिर 2 सवारी और चढ़ी. मेरे पिता को उन लोगों ने बंधक बना लिया. मेरे पिता गले पर रुमाल बांधते हैं, जो मुस्लिम समाज में ज्यादातर लोग अपने कंधे पर या गले पर बांधते हैं. उसी रुमाल से मेरे पिता का मुंह ढक दिया और फिर उन्हें जंगल में स्थित एक कमरे में बंधक बना लिया.
मारपीट और धार्मिक नारे लगवाने के आरोप
बबलू सैफी का आरोप है कि उन लड़कों ने वहां पर तमंचे के बल पर उनके साथ मारपीट की. उनकी दाढ़ी भी काटी और जय श्रीराम के नारे लगाने के लिए भी कहा. मेरे पिता की उम्र बहुत ज्यादा है. उन्होंने पूछा भी कि भाई तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो, लेकिन वे लोग नहीं माने. उन्होंने मेरे पिता का बैग भी छीन लिया. उसमें हजार- ₹1100 थे, वे भी छीन लिए और उनके पास दो मोबाइल थे, उन दोनों मोबाइल के सिम निकाल कर मोबाइल उनको वापस लौटा दिया. फिर उन लड़कों ने शाम लगभग 7:00 बजे हमारे पिता को छोड़ा, उस जगह से दूर ले जाकर. फिर मेरे पिता किसी तरीके से शहीद नगर पहुंचे. उन्होंने सारी बात बताई. मेरे पास यहां बुलंदशहर में रात लगभग 9:00 - 9:30 बजे इस बात की जानकारी आई. फिर हम वहां पर पहुंचे. अगले दिन लोनी के ही रहने वाले उमेद पहलवान को जब इस पूरे वाक्य का पता चला तो उन्होंने हमारी मदद की. वह हमारे पिताजी को लेकर लोनी थाने पहुंचे, जहां पर जो इंस्पेक्टर थे, उनको सारी बात बताई.
पुलिस पर लगाया मामले को भटकाने का आरोप
अब्दुल समद के बेटे बबलू सैफी का आरोप है कि पुलिस इस मामले को भटकाने में जुटी है. बबलू का कहना है कि लोनी थाने के इंस्पेक्टर इस पूरे मामले को रफा-दफा करने के लिए कहने लगे. उन्होंने मेरे पिता को यह भी कहा कि आपकी दाढ़ी कट गई तो अच्छी बात है, आपके चेहरे पर हवा लगेगी. जबकि जो दाढ़ी रखना होता है वह हमारे धर्म में होता है और मेरे पिता ने लगभग 40 सालों से दाढ रखी हुई थी. यह बात सुनकर उमेद पहलवान को भी गुस्सा आ गया. उन्होंने कहा कि अभी तुम हमारे चाचा के लिए ऐसा बोल रहे हो, कल को अगर हमारे साथ ऐसा होता है तो भी आप लोग कुछ नहीं करोगे. इतना ही नहीं जो शिकायत हमने लिख कर दी थी पुलिस ने उसके अनुसार एफआईआर दर्ज नहीं की, बल्कि अपने अनुसार ही एफआईआर दर्ज की है.
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नहीं पता क्यों बनाया पिता को शिकार?
अब्दुल समद के बेटे से यह पूछा गया कि आखिर क्या वजह हो सकती है, जो उन लोगों ने आपके पिता के साथ ही इस तरह की हरकत की? तो इस पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि यह मैं नहीं कह सकता. हालांकि इस दौरान उन्होंने पुलिस के उस दावे को भी गलत बताया जिसमें पुलिस यह कह रही है कि अब्दुल समद ताबीज का काम करते थे और उन लड़कों ने ताबीज के चलते ही अब्दुल समद के साथ मारपीट की है. बबलू सैफी का कहना है कि हमारा पुश्तैनी काम लौहार- बढ़ई का है और हम आज भी वही काम कर रहे हैं.