नीमच: नागरिकता संशोधन कानून आने के बाद मध्य प्रदेश में आम लोगों ने शासकीय योजनाओं के लिए होने वाले सर्वे में जरूरी दस्तावेज देने से इंकार कर दिया है. उनको डर है कि ये दस्तावेज देने के बाद उनकी नागरिकता खत्म कर दी जाएगी. इसी वजह से प्रशासन सर्वे के कार्य नहीं कर पा रहा है.


प्रशासन के लाख समझाने के बावजूद आम लोग सामने नहीं आ रहे हैं. साथ ही बहाने बनाकर प्रशासन की टीम से मुंह मोड़ रहे हैं. नीमच जिले के करीब 12 से ज्यादा मोहल्लों में करीब तीस हजार की मुस्लिम आबादी है. इस समय पूरे प्रदेश के साथ नीमच में भी खाद्य पर्ची और बीपीएल राशन कार्ड सर्वे का कार्य चल रहा है, लेकिन जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मुस्लिम मोहल्लों में जा रही हैं तो मुस्लिम परिवार आधार कार्ड, राशन कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज देने को तैयार नहीं हैं.


मुस्लिम परिवारों को लग रहा है कि उनकी नागरिकता छिन जाएगी. आंगवाड़ी महिलाओं का कहना है कि जब हम उन्हें समझाते हैं कि आपकी नागरिकता नहीं छिनी जाएगी तब भी वह दस्तावेज देने को तैयार नहीं हो रहे हैं. साथ ही मुस्लिम लोग किसी भी प्रकार की जानकारी भी नहीं दे रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन के अधिकारीयों का कहना है कि हमें जानकारी मिली है कि लोग दस्तावेज नहीं दे रहे है. मामले को लेकर जांच की जा रही है.


गौरतलब है कि सीएए और एनआरसी का जगह-जगह विरोध किया जा रहा है. हाल ही में हैदराबाद में भी सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में रैली निकाली गई थी. जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने भाग लिया. लोगों ने हाथ में तिरंगा लेकर सड़क पर प्रदर्शन किया. इतना ही नहीं लोगों ने इसके खिलाफ नारे भी लगाए.


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