मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए मुस्लिम पुलिसकर्मी के ड्यूटी पर दाढ़ी रखने के फैसले का बचाव किया है. कोर्ट ने कहा कि भारत  विविध धर्मों और रीति-रिवाजों का देश है और अल्पसंख्यक समुदायों खासतौर पर मुस्लिम कर्मचारियों को दाढ़ी रखने पर दंडित नहीं किया जा सकता है. एक पुलिसकर्मी ने उस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्हें ड्यूटी पर दाढ़ी रखने और छुट्टी पूरी होने के बाद भी नौकरी पर नहीं आने पर दो साल के लिए वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी थी.


जस्टिस एल विक्टोरिया गौरी की बेंच ने कहा कि पुलिस विभाग में सख्त अनुशासन की जरूरत है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि दाढ़ी रखने के लिए अल्पसंख्यक कर्मी को दंडित किया जा सकता है. कोर्ट ने 5 जुलाई को यह फैसला सुनाया था, लेकिन मंगलवार (15 जुलाई, 2024) को फैसला सार्वजनिक किया गया. 


याचिकाकर्ता पुलिस कोन्सटेबल जी अब्दुल खादर इब्राहिम के वकील ने मद्रास पुलिस गजट 1957 का हवाला देते हुए कहा कि मुस्लिम अधिकारियों को दाढ़ी रखने की इजाजत है. कोर्ट ने उनकी दलील को स्वीकर करते हुए कहा कि मद्रास पुलिस गजट के अनुसार अधिकारियों को दाढ़ी रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती है, लेकिन मुस्लिम पुलिस अधिकारी जीवनभर दाढ़ी रख सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम अधिकारियों को दाढ़ी रखने के लिए मना नहीं किया जा सकता, जो वह पैगंबर मोहम्मद के हुक्म का पालन करते हुए जीवनभर रखते हैं.'


क्या है मामला?
साल 2018 में खादर इब्राहिम ने मक्का और मदीना की यात्रा के लिए 31 दिनों की छुट्टी ली थी. भारत लौटने के बाद उन्होंन छुट्टियां बढ़ाने की अर्जी दी क्योंकि उनके बाएं पैर में इंफेक्शन हो गया था, लेकिन असिस्टेंट कमिश्नर ने इब्राहिम की अर्जी खारिज कर दी और दाढ़ी रखने पर भी सवाल खड़े किए. इसके एक साल बाद डिप्टी कमिश्नर ने इब्राहिम पर छुट्टी खत्म होने के बाद भी ड्यूटी पर न लौटने और दाढ़ी रखने के आरोप तय किए. अधिकारी का दावा था कि मद्रास पुलिस गजट के हिसाब से इब्राहिम ड्यूटी पर दाढ़ी नहीं रख सकते हैं. साल 2021 में डिप्टी कमिश्नर ने तीन साल के लिए उनके वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी. बाद में पुलिस आयुक्त ने इस अवधि को घटाकर दो साल कर दिया, जिसे इब्राहिम ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. 


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