Gyanvapi Case: वाराणसी की जिला अदालत में 2 नवंबर (बुधवार) को ज्ञानवापी परिसर में बंद तहखाने का ताला खुलवा कर सर्वे कराने की हिन्दू पक्ष की मांग पर मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. इसको लेकर उन्होंने एक याचिका भी कोर्ट में दायर की है. अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 11 नवंबर की तारीख रखी है. जिला कोर्ट के वकील महेंद्र पांडेय ने बताया कि हिन्दू पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर के बंद तहखाने का ताला खुलवा कर उनका सर्वेक्षण कराने की मांग की थी, इस पर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने अदालत के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज की है.


उन्होंने बताया कि हिन्दू पक्ष के अधिवक्ताओं ने प्रति आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए अदालत से समय मांगा है. पांडेय ने बताया कि हिन्दू पक्ष की एक वादी राखी सिंह के अधिवक्ता ने ज्ञानवापी परिसर में मिली लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा को सुरक्षित करने की मांग के लिए अदालत के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया था. इस पर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपनी आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए अदालत से समय की मांग की है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला


अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा कि उनके वकील ने आपत्ति में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया कि मौजूदा मस्जिद परिसर क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बंद तहखानों के ताले खोलकर सर्वेक्षण करना सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होगा. गौरतलब है कि हिन्दू पक्ष के वकीलों  ने 17 मई को अदालत के समक्ष प्रार्थना पत्र दे कर ज्ञानवापी परिसर में बंद पड़े तहखानों को खुलवा कर उनका सर्वेक्षण कराने की मांग रखी थी.


अदालत ने 100 रुपये का लगाया था जुर्माना


अदालत ने मुस्लिम पक्ष को इस संबंध में आपत्ति दर्ज करने के लिए समय दिया था. अदालत की पिछली सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए और समय की मांग की थी. इस पर अदालत ने 100 रुपये का अर्थदंड लगाया था. राखी सिंह और बाकी लोगों ने सिविल जज (सीनियर) डिवीजन की अदालत में एक याचिका दाखिल कर श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन और विग्रहों की सुरक्षा के आदेश देने का आग्रह किया था. अदालत के निर्देश पर अप्रैल- मई महीने में वीडियो सर्वे कराया गया था. इस दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में एक आकृति मिली थी. हिन्दू पक्ष ने इसके शिवलिंग होने का दावा किया था, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था.


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