Gyanvapi Mosque Case: उत्तर प्रदेश में वाराणसी की अदालत की ओर से ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की अनुमति दिए जाने पर मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि वो आदेश पढ़ने के बाद हाई कोर्ट का रुख करेगा. वहीं, हिंदू संगठनों ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है.


ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की मांग के मामले में वाराणसी की अदालत ने शुक्रवार (21 जुलाई) को फैसला सुनाया. अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक और वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की अनुमति दे दी.


मामले पर मुस्लिम पक्ष के वकील तौहीद खान और रईस अहमद ने कहा है कि वे आदेश पढ़ने के बाद हाई कोर्ट जाएंगे और ऑर्डर की कॉपी कल (22 जुलाई) मिलेगी.


मुस्लिम पक्ष के वकील ने क्या कुछ कहा?


मुस्लिम पक्ष के वकील मोहम्मद तौहीद खान ने कहा, ''माननीय जिला जज महोदय ने पढ़कर सुनाया कि जो एएसआई सर्वे का एप्लीकेशन था, उसको मंजूर कर लिया है. वो हिस्सा जो सुप्रीम कोर्ट से (वजुखाना) सील्ड है, उसको छोड़कर और 4 अगस्त तक रिपोर्ट देने के लिए कहा है. अब नकल लेने के बाद, ऑर्डर का अवलोकन करने के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी. 


हिंदू पक्ष के वकील ने दी ये जानकारी


वहीं, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ''मेरी एप्लीकेशन अलाउ हो चुकी है और कोर्ट ने एएसआई सर्वेक्षण का ऑर्डर कर दिया है. ये ऑपरेटिव पोर्सन है जो कोर्ट इस समय पढ़ रहा है.'' उन्होंने कहा, ''...किसी की नमाज बाधित नहीं होगी. नमाज होती रहेगी लेकिन 8 से 12 का ऐसा समय होता है, जहां पर वो तथाकथित मस्जिद खाली रहती है तो उस समय इसका सर्वेक्षण किया जाए.'' 


उन्होंने कहा, ''अब एक बहुत ही टेक्निकल सर्वे होने वाला है जिसमें पार्टिकल्स लिए जाएंगे, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार लगेगा, बहुत सारी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जियोलॉजिस्ट आएंगे, अलग-अलग साइंटिस्ट आएंगे एएसआई की परिधि में, तो अब ये एएसआई को डिसाइड करना है कि कितना समय लगेगा.'' 


कितने दिन में पूरा होगा सर्वे?


वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ''मैं आपको ये आकलन देना चाहता हूं कि राम मंदिर के टाइम पर जब 2002 में एएसआई का फैसला हुआ था तो एएसआई की रिपोर्ट 2005 में आई थी. तीन साल लग गए थे लेकिन वहां पर क्षेत्र भी काफी बड़ा था. ये सिर्फ मेरा अनुमान है कि तीन से छह महीने के अंदर ये सर्वे की एक्सरसाइज कंपलीट होगी.'' उन्होंने कहा, ''पूरे परिसर की मांग करने का उद्देश्य यह है कि जगह को औरंगजेब ने नहीं बनवाया, ये पहले से एक प्री एग्जिस्टिंग हिंदू मंदिर का स्ट्रक्चर था, जिसको एक मस्जिद का रूप देने की कोशिश की गई...''


हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे एक और वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि अदालत ने बैरिकेड वज़ुखाना के बाहर के क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का हमारा अनुरोध स्वीकार कर लिया है.


राम मंदिर के मुख्य पुजारी बोले- सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा


काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक और वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की अनुमति मिलने पर धार्मिक संगठनों ने भी प्रतिक्रियाएं दी हैं. अयोध्या के राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा, ''जब सर्वे हो जाएगा, सर्वे में सारे तथ्य सामने आएंगे हिंदू पक्ष के जिससे कोर्ट को फैसला देने में कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि सारे सबूत जो मिल रहे हैं वो हिंदू पक्ष के मिल रहे हैं. सर्वे होने पर सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा.''


हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने ये कहा


ज्ञानवापी मस्जिद का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने के वाराणसी कोर्ट के आदेश पर हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने कहा, ''अयोध्या ही नहीं है, काशी में मैं सुबह से देख रहा था- ढोल-नगाड़े बज रहे थे, लड्डू बांटे जा रहे थे, एएसआई जांच को लेकर हम लोग लगातार लगे हुए थे, एएसआई जांच जब हो जाएगी तो कार्बन डेटिंग में दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.''


16 मई को अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका की थी मंजूर


गौरतलब है कि 16 मई को वाराणसी की जिला अदालत ने काशी विश्‍वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का एएसआई से सर्वेक्षण कराने का आग्रह करने वाली याचिका सुनवाई के लिए मंजूर कर ली थी. विष्णु शंकर जैन ने बताया था, ''हमने वजुखाने को छोड़ कर सम्पूर्ण ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक और वैज्ञानिक तरीके से जांच करने की मांग अदालत के समक्ष रखी थी.'' अब अदालत ने मांग को स्वीकार करते हुए सर्वेक्षण की अनुमति दी है.


बता दें कि अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने स्थानीय अदालत में एक याचिका दायर की थी जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर नियमित पूजा के अधिकार की मांग की गई थी. अप्रैल 2022 में दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया था.


मुस्लिम पक्ष के विरोध के बीच सर्वेक्षण आखिरकार मई 2022 में पूरा हुआ था. इसी दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू के लिए बने तालाब में ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया था, वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था.


(भाषा इनपुट के साथ)


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