यूपीः नागरिकता कानून के ख़िलाफ़ कई शहरों में जारी है मुस्लिम महिलाओं का आंदोलन
नागरिकता कानून के ख़िलाफ़ जो लोग सक्रिय होकर पीना विरोध दर्ज करा रहे हैं, वो यूपी में अन्य शहरों में भी महिलाओं का धरना करना चाहते हैं. हालांकि लखनऊ और प्रयागराज के अलावा अबतक किसी भी शहर में बड़े स्तर पर धरना शुरू नहीं हो सका है.
लखनऊः नागरिकता कानून को लेकर एक तरफ दिल्ली के शाहीन बाग में एक महीने से ज़्यादा समय से धरना प्रदर्शन चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ यूपी में विरोध को मज़बूत बनाने के लिए अलग अलग शहरों में कोशिशें जारी हैं. राजधानी लखनऊ और प्रयागराज में महिलाओं का धरना प्रदर्शन लगातार चल रहा है. प्रयागराज के मंसूर पार्क में आज महिलाओं के धरने का 9वां दिन है. वहीं राजधानी लखनऊ में धरने का तीसरा दिन चल रहा है.
इसके अलावा आगरा में भी रविवार शाम को महिलाओं ने इकट्ठा होकर प्रदर्शन शुरू किया लेकिन पुलिस ने समय रहते धरने में शामिल होने आयीं महिलाओं को धरना स्थल से हटा दिया. लखनऊ, प्रयागराज और आगरा के धरने में एक बात सामान्य है. सभी स्थलों पर विरोध प्रदर्शन कि बागडोर महिलाओं ने संभाल रखी हैं.
घंटाघर पर प्रदर्शन का आज तीसरा दिन
लखनऊ के घंटाघर पर प्रदर्शन का आज तीसरा दिन है, वहीं प्रयागराज के मंसूर पार्क में महिलाओं के धरने का आज नौवां दिन है. पूरे यूपी में राम मंदिर पर फ़ैसले और नागरिकता कानून के बाद पैदा हुए हालात के बाद निषेधाज्ञा यानी धारा 144 लागू है. ऐसे में ज़ाहिर है दोनों शहरों में चल रहा धरना प्रदर्शन बिना अनुमति के चल रहा है.
नागरिकता कानून के ख़िलाफ़ जो लोग सक्रिय होकर पीना विरोध दर्ज करा रहे हैं, वो यूपी में अन्य शहरों में भी महिलाओं का धरना करना चाहते हैं. हालांकि लखनऊ और प्रयागराज के अलावा अबतक किसी भी शहर में बड़े स्तर पर धरना शुरू नहीं हो सका है. लेकिन कोशिश है कि सरकार को संदेश देने के लिए विरोध प्रदर्शन को और मजबूत करने के लिए धरने का आयोजन बढ़ाया जाए.
धरनों को लेकर पुलिस और प्रशासन सतर्क
पुलिस और प्रशासन के बड़े अधिकारियों के साथ साथ सरकार इस तरह के धरनों को लेकर सतर्क है. सरकार चाहती है कि कैसे भी धरने को होने से रोका जाए. लगातार सरकार के स्तर पर कोशिश हो रही है कि लोगों को नागरिकता कानून की असलियत समझाकर इसके पक्ष में किया जाय. हालांकि, सरकार विरोधी गुट भी सक्रिय तरीक़े से अपना प्रभाव दिखाने की कोशिश में लगा है.
सरकार पूरे प्रदेश में हिन्दू और उर्दू में पर्चे छपवाकर चिन्हित इलाक़ों में लोगों को बंटवा रही है. साथ ही सीएए के समर्थन में बड़े ज़िलों में बीजेपी के बड़े नेताओं की रैलियां आयोजित की जा रही हैं. अमित शाह, जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ, स्मृति ईरानी समेत कई बड़े नेता अलग अलग ज़िलों में रैलियां कर सीएए के पक्ष में लोगों को समझाने की कोशिश के लगे हैं.
महिलाओं ने छेड़ रखा है आंदोलन
यूपी में देखा जाए तो योगी सरकार के लिए नागरिकता कानून को लेकर जारी विरोध को नियंत्रण में करना बड़ी चुनौती साबित हो रही है. 19 और 20 दिसंबर को लखनऊ समेत 2 दर्जन से ज़्यादा शहरों में ज़बरदस्त हिंसा हुई थी.
इसके बाद सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए हज़ारों लोगों की गिरफ्तारियां और लोगों को हिरासत में लिया था. साथ ही सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई भी उपद्रवियों से कराने का फ़ैसला किया. ऐसे में हिंसा का दौर तो ज़रूर नियंत्रित हुआ लेकिन विरोध के सुर महिलाओं के आंदोलन ने छेड़ रखी है.
महिलाओं का यह आंदोलन कबतक चलेगा यह तो साफ़ नहीं है लेकिन ये ज़रूर है कि सरकार अपने स्तर पर हर संभव कोशिश कर रही है कि यह धरना जल्द से जल्द ख़त्म हो जाए.
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