नई दिल्ली: पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने देश में मुस्लिमों की हालिया स्थिति के बारे में कहा कि मुसलमान पहचान आधारित भेदभाव और छिटपुट हिंसा का सामना करते हैं. उन्होंने कहा कि सकारात्मक कार्रवाई पर फोकस के जरिए मुसलमानों का सशक्तिकरण होना चाहिए और उनकी समस्याओं का राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर हल निकाल कर उन्हें विकास के मौके दिए जाने चाहिए.


अंसारी फराह नकवी की किताब ‘वर्किंग विद मुस्लिम्स बियॉन्ड बुर्का एंड ट्रिपल तलाक’ का विमोचन करने के लिए आए थे. उन्होंने कहा कि मुसलमान अभाव और पिछड़ेपन की वजह से कई अन्य की तरह व्यथित हैं. इसके अलावा मुसलमान खासतौर पर पहचान आधारित भेदभाव और छिटपुट हिंसा का सामना करते हैं.


2006 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए अंसारी ने कहा कि मुसलमान विकास संबंधी कई तरह के अभाव के शिकार हैं. उन्होंने सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से उनके सशक्तिकरण की वकालत भी की.


पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह अन्य नागरिकों की तरह लाभ लेने में उन्हें सक्षम बनाएगा और उन्हें एक ऐसे मुकाम पर ले जाएगा जहां सरकार का‘ सबका साथ सबका विकास’ का नारा सार्थक हो जाएगा.


अंसारी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा तबका गरीब और शक्तिहीन है. सुविधाओं और मौकों तक उसकी पहुंच नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए.