(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जानिए- मेट्रो ट्रेन में कैसे लें एंट्री, आपकी छोटी सी गलती से ओटॉमैटिक गेट में जा सकती है जान
कोलकाता मेट्रो में उंगली फंसने के कारण हादसे का शिकार हुए सजल कांजीलाल की मौत की वजह का पता लगाने के लिए रेलवे अधिकारी और टेक्निशन्स जांच कर रहे हैं. शुरुआती जांच में उन्होंने पाया है कि मेट्रो के दरवाजों के बीच 20 मिमी से कम की दूरी होने पर ड्राइवर केबिन को अलर्ट नहीं जाता है, इस कारण यह हादसा हुआ.
कोलकाता: कोलकाता मेट्रो रेल में एक बेहद दर्दनाक हादसा सामने आया है. दरअसल, कोलकाता के पार्क स्ट्रीट मेट्रो स्टेशन पर एक बुजुर्ग का हाथ दरवाजा में फंसने के बाद ट्रेन चल दी, जिसके कारण यात्री की मौत हो गई. घटना शनिवार की शाम पौने सात बजे के आसपास घटित हुई.
जांच में पता चला है कि सिर्फ 20 मिलीमीटर के एक मामूली से गैप की वजह से यह हादसा हुआ था. दरअसल, मेट्रो के दरवाजों में ऐसी पैडिंग लगी होती है जो उंगलियों के दरवाजों के बीच आने पर सेंसर को ऐक्टिवेट करती है और दरवाजे को बंद होने से रोकती है, लेकिन ऐसा तभी होता है जब दरवाजों के बीच की दूरी 20 मिमी से ज्यादा हो. उससे कम होने पर सेंसर म्यूट हो जाते हैं और यही कारण 66 वर्षीय व्यक्ति की मौत की वजह बनी. मृतक यात्री की पहचान सजल कुमार कांजीलाल के रूप में हुई है. वह दक्षिण कोलकाता के एक कस्बे के रहने वाले बताए जा रहे हैं.
उनके मौत के बाद इस मामले की जांच हुई और कई मेट्रों अधिकारियों से इस हादसे को लेकर सवाल किया गया. टेक्निशन्स और अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि अगर दो दरवाजों के बीच लगे फ्लैप्स की बीच की दूरी 20 मिमी से ज्यादा नहीं है तो दरवाजों के बीच लगा रिले स्विच ड्राइवर के केबिन को अलर्ट नहीं भेजेगा और न ही ट्रैक्शन मोटर को ऐक्टिवेट करेगा. ऐसी स्थिति में दरवाजा बंद हो जाएगा.
बता दें कि दरवाजों पर लगे फ्लैप्स के बीच रबर लगाया जाता है ताकि 20 मिमी से कम की दूरी में कुछ फंसने पर चोट न लगे और व्यक्ति उतनी देर में अपना हाथ वापस खींच सके. यही रबर दरवाजों को सील भी करता है.
दिल्ली में भी यात्रियों को सावधान रहने की जरूरत
इस हादसे के बाद अब दिल्ली जहां की लाइफलाइन मेट्रों को कहा जाता है वहां भी यात्रियों को चौकन्ना रहने की जरूरत है. यात्रा के दौरान इस तरह का हादसा न हो इसके लिए उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है. इस हादसे के बाद सवाल उठ रहा है कि मेट्रो ट्रेन में कैसे सेफ एंट्री लें. कैसे आपकी छोटी सी गलती से ओटॉमैटिक गेट से आपकी जान जा सकती है.
दरअसल मेट्रो ट्रेन के दरवाजों में किसी भी रुकावट का पता लगाने के लिए सेंसर होते हैं. दरवाजों के किनारों पर ये सेंसर लगे होते हैं और ट्रेन चालक को बताते हैं कि दरबाजा बंद है या नहीं. यदी सभी दरबाजे बंद हैं तो ही ड्राइवर ट्रेन शुरू कर सकता है. यह ऑटोमेटिक होता है लेकिन ट्रेन ऑपरेटर राजीव चौक जैसे भीड़ भरे स्टेशनों में सेंसर को ओवरराइड कर सकते हैं.
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