मुजफ्फरनगर थप्पड़ कांड: सुप्रीम कोर्ट ने काउंसलिंग न करने पर UP सरकार को फटकारा, कहा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ
Supreme Court: मुजफ्फरनगर थप्पड़ कांड की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार ने घटना में गवाह रहे बच्चों की काउंसलिंग करने को कहा है.
Muzaffarnagar Child Slap Case: मुजफ्फरनगर के चर्चित थप्पड़ कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (9 फरवरी) को मुस्लिम छात्र को काउंसलिंग नहीं देने के ढुलमुल रवैये पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह से उल्लंघन किया है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अदालत ने अपने निर्देशों का पालन न करने पर राज्य सरकार से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उसने उन सभी बच्चों को परामर्श प्रदान करने के उसके निर्देशों का पालन नहीं किया, जिन्हें इन अपराध में शामिल किया गया था. पीठ ने कहा, "हमारे निर्देशों का पूरी तरह से उल्लंघन हुआ है. किसी भी बच्चे को परामर्श नहीं दिया गया है. हमने संगठनों के नाम भी दिए थे. इसे पूरी भावना के साथ किया जाना चाहिए."
'दो हफ्तों में हलफनामा दायर करें'
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश हुए वकील को निर्देश दिया कि वह घटना के गवाह रहे बच्चों की काउंसलिंग करें और दो हफ्ते में इसको लेकर हलफनामा दायर करें. कोर्ट ने कहा, "हमने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) की ताजा रिपोर्ट का अध्ययन किया है. इसमें घटना में शामिल सभी छात्रों की काउंसलिंग की मांग की गई है. इस पर राज्य ने कुछ भी नहीं किया है, बहुत देर हो चुकी है. हम राज्य को तुरंत निर्देश देते हैं कि वह निर्देशों को लागू करे."
1 मार्च को होगी सुनवाई
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार को 28 फरवरी तक एक हलफनामा दाखिल करने को कहा. इस मामले में अब अगली सुनवाई 1 मार्च को होगी. इससे पहले कोर्ट ने TISS को बच्चों के लिए काउंसलिंग करने के सुझाव देने को कहा था.
क्या है मामला?
दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक टीचर ने मुस्लिम छात्र को होमवर्क नहीं करने पर क्लास के अन्य छात्रों को थप्पड़ मारने के लिए प्रोत्साहित किया था. घटना के कथित वीडियो ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा गया था.
वीडियो में वह अपने छात्रों से कक्षा 2 के लड़के को थप्पड़ मारने के लिए कह रही थीं और सांप्रदायिक टिप्पणी भी कर रही थीं. स्कूल शिक्षक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की सजा), और धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
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