लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर दर्ज और मामलों को वापस ले सकती है. राज्य सरकार ने दंगों के समय आयोजित किये गये दो महापंचायतों को लेकर दर्ज दो केस को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है. जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, साध्वी प्राची, बीजेपी सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह, बीजेपी विधायक उमेश मलिक, संगीत सोम और सुरेश राणा आरोपी हैं. इन नेताओं पर सांप्रदायिक नफरत भरे बयान देने का आरोप हैं.


उत्तर प्रदेश कानून विभाग ने पिछले दिनों मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी को एक लेटर लिखकर इन मामलों पर 13 बिंदुओं में जवाब मांगा था. कानून विभाग के पत्र में जिलाधिकारी से जनहित को ध्यान में रखते हुए आरोपियों पर लगे आरोप को वापस लेने के बारे में पूछा गया. हालांकि अभी भी रिपोर्ट का इंतजार है. मुजफ्फरनगर के डीएम राजीव शर्मा ने इस संबंध में इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "यह एक लम्बी प्रक्रिया है और इसमें समय लगता है."


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, महापंचायत और उसके बाद हुई हत्या को लेकर सिखेरा पुलिस थाने में दो केस दर्ज हैं. 31 अगस्त 2013 और सात सितंबर 2013 को महापंचायत का आयोजन किया गया था. जहां सचिव और गौरव नाम के दो युवकों की मौत की चर्चा हुई. इन दोनों युवकों को कथित तौर पर 27 अगस्त को कवाल गांव में भीड़ ने हत्या कर दी थी. सचिव और गौरव पर आरोप था कि उसने शाहनवाज नाम के एक युवक की हत्या कर दी थी.


131 केस हो सकते हैं वापस


तीनों की मौत ने सांप्रदायिक रंग ले लिया और इसके बाद सात सितंबर से बवाल शुरू हुआ और महीनों चला. मुजफ्फरनगर और इसके आस-पास के जिलों में दंगों में कम-से-कम 60 लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों बेघर हो गये थे. दंगों को लेकर दर्ज अन्य मामलों को भी वापस लेने की प्रक्रिया योगी सरकार ने शुरू कर दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार 131 केस वापस लेगी. जिसमें 13 हत्या के मामले हैं.


दो महापंचायत और दो केस


31 अगस्त 2013 के पहले महापंचायत के मामले में पुलिस ने साध्वी प्राची, कुंवर भारतेंद्र सिंह, संजीव बालियान और सुरेश राणा समेत 14 नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया था. जिसमें गैरकानूनी ढंग से इकट्ठा होने, हथियार लहराने, सरकारी कर्मचारियों के कामों में बाधा डालने और भीड़ को उकसाने के आरोप शामिल हैं. इस मामले में एक आरोपी उमेश मलिक ने कहा कि मुजफ्फरनगर की निचली अदालत पांच मई को सुनवाई करेगी.


7 सितंबर 2013 को दूसरी बार महापंचायत बुलाया गया. जिसके बाद पुलिस ने साध्वी प्राची, उमेश मलिक, राणा, और संगीत सोम समेत 13 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया. पुलिस ने हमले, सरकारी कर्मचारी को धमकाने और दुर्व्यवहार को लेकर चार्चशीट दाखिल किया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक संगीत सोम के वकील अनिल जिंदल ने कहा, “आरोप तय करने के लिए मुजफ्फरनगर के स्थानीय अदालत में 29 मई की तारीख तय की गई है.”


आरोपियों का प्रोफाइल


साध्वी प्राची सांप्रदायिक नफरत से भरे बयान देने के लिए मशहूर हैं. संजीव बालियान मुजफ्फरनगर से बीजेपी सांसद हैं और सितंबर 2017 तक मोदी सरकार में मंत्री रहे. कुंवर भारतेंद्र सिंह बिजनौर से बीजेपी सांसद हैं. सुरेश राणा उत्तर प्रदेश के थानाभवन विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी विधायक हैं और योगी की कैबिनेट में मंत्री हैं. संगीत सोम मेरठ की सरधना विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक हैं. वहीं उमेश मलिक मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना से बीजेपी विधायक हैं.