नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय ने बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और उनके परिजनों समेत कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत पटना की विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर किया है. इन लोगों पर सरकारी फंड के पैसों का दुरुपयोग करने का आरोप है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में आरोपियों की करोड़ों रुपये की संपत्ति जप्त की है.


ईडी के एक आला अधिकारी ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय ने यह मुकदमा मुजफ्फरपुर की महिला थाने में दर्ज दो मुकदमा और सीबीआई की विशेष अपराध शाखा के दर्ज मुकदमे के आधार पर जांच शुरू की थी. इस मामले में ब्रजेश ठाकुर उनके परिजनों और दूसरे लोगों पर आरोप था कि उनकी संस्था सेवा संकल्प आवाम विकास समिति और उसकी साथी सहायक एनजीओ ने सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया.


आरोप है कि इन लोगों ने एक आपराधिक षड्यंत्र के जरिए फर्जी दस्तावेज बनाएं और सरकार के साथ धोखाधड़ी की. जो धन सरकार लड़कियों के विकास के लिए दिया जाता था, उस धन का उपयोग इन लोगों के निजी संपत्ति बनाने में खर्च किया गया. साथ ही यह भी आरोप है कि आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने इस धन का प्रयोग अपने बेटे की डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए खर्च किया.


जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में आरोपी ब्रजेश ठाकुर उसके परिजनों कुमारी आशा, राहुल आनंद, बृजेश ठाकुर की मां मनोरमा देवी और अन्य को आरोपी माना. ईडी ने इस मामले में इसके पहले भी 7 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति आरोप पत्र दायर करने के पहले ही जप्त की थी. इसके बाद 7 अगस्त 2020 को भी इस मामले में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी जप्त की गई जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में अपना आरोप पत्र पटना की विशेष अदालत के सामने पेश कर दिया है.


ध्यान रहे कि मुजफ्फरपुर का शेल्टर कांड काफी चर्चित हुआ था और इस मामले में खासा राजनीतिक हंगामा भी हुआ था जिसके बाद इस मामले की जांच स्थानीय पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी गई थी.


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