सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज संजीव खन्ना (Justice Sanjeev Khanna) ने उस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज (Vivekanand Institute of Professional Studies) के चेयमैन एससी वत्स (SC Vats) के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी. यह याचिका दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) ने दायर की है. जस्टिस संजीव खन्ना ने यह कहते हुए सुनवाई से खुद को अलग कर लिया कि उनका बेटा भी उसी कॉलेज में पढ़ा है, जहां पर एससी वत्स चेयरमैन हैं.
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि मामले की सुनवाई किसी और बेंच को करनी चाहिए क्योंकि उनका बेटा भी इसी कॉलेज में पढ़ता था. इसके बाद मामले की सुनवाई 8 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गई. एससी वत्स ने पहले सत्येंद्र जैन के विधानसभा चुनाव लड़ने को चुनौती दी थी, जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने एससी वत्स के पक्ष में फैसला सुनाया था.
यह मामला साल 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से जुड़ा है. एससी वत्स ने याचिका दाखिल कर सत्येंद्र जैन के शाकूर बस्ती (Shakur Basti) से चुनाव लड़ने को चुनौती दी थी. एससी वत्स ने असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (Assistant Electoral Registration Officer) को समन भेजकर कुछ दस्तावेज मांगे थे.
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के जॉइंट रजिस्ट्रार ने भी वत्स की आपत्तियों को बरकरार रखा. इसके बाद सत्येंद्र जैन ने चैंबर अपील की, लेकिन सिंगल बेंच ने भी वत्स के पक्ष में फैसला सुनाया. एससी वत्स ने दिल्ली हाईकोर्ट नियम, 1967 के भाग बी के नियम 3 के तहत अधिकारी को समन किया था.
इसके अंतर्गत गवाह को सिर्फ दस्तावेज पेश करने होते हैं, गवाही नहीं देनी होती है. दस्तावेजों को लेकर अधिकारी से क्रॉस एग्जामिन किया गया. मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद सत्येंद्र जैन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और एससी वत्स के खिलाफ याचिका दाखिल की है.