Mysuru royal family: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के बीचों-बीच स्थित 472 एकड़ के महल की जमीन का बेंगलुरु विकास प्राधिकरण ने महज 11 करोड़ रुपए कीमत आंकी. जिसके बाद मैसूर राजपरिवार ने आपत्ति जताई है. दरअसल, महल की कीमत हस्तांतरणीय विकास अधिकार ने की. क्योंकि, बेंगलुरु विकास प्राधिकरण को सड़क चौड़ी करने के लिए जमीन का एक हिस्सा अधिग्रहित करना था. जिसके लिए बीडीए ने उस जगह की कीमत120.68 प्रति वर्ग मीटर की दर तय की है.
द हिन्दु की रिपोर्ट के मुताबिक, इस महल के जमीन की मार्केट वैल्यू लगभग 100 करोड़ रुपये प्रति एकड़ होने का अनुमान है. इस बीच बेंगलुरु विकास प्राधिकरण ने बंगलौर पैलेस (अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1996 के आधार पर मुआवजा तय करने के अपने फैसलें को सही ठहराया, जिसमें पूरे महल के मैदान का कुल कीमत 11 करोड़ रुपए आंकी गई है.
जानें जमीन की कीमत को लेकर क्या कहता है SC का आदेश?
बता दें कि, टीडीआर को साल 2014 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जारी किया गया था, जिसमें बल्लारी रोड और जयमहल रोड को चौड़ा करने के लिए 15 एकड़ और 17.5 गुंटा या 62,475 वर्ग मीटर महल की जमीन अधिग्रहित करना था. इसके अलावा 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आने वाली अवमानना याचिका से पहले जारी किया गया था. अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, अधिग्रहित की जा रही जमीन की कीमत 60 लाख आंकी गई है. जबकि, इसकी1.5 गुना राशि लगभग 1 करोड़ रुपए होगी.
अधिग्रहित की जाने वाली जमीन की कीमत 1,400 करोड़
स्टाम्प एवं पंजीयन विभाग के 2023-24 की कीमत के अनुसार, जयमहल मेन रोड पर प्रति वर्ग मीटर का मूल्य 2.04 लाख रुपये है, जबकि बल्लारी रोड पर प्रति वर्ग मीटर की दर 2.85 लाख रुपये है. ऐसे में करीब 2.30 लाख प्रति वर्ग मीटर के औसत कीमत को ध्यान में रखते हुए, अधिग्रहित की जाने वाली जमीन की कीमत 1,400 करोड़ से ज्यादा होगी. जबकि, इस महल की मार्केट वैल्यू इससें भी कहीं ज्यादा होगी.
BDA के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे- राजपरिवार सदस्य
इस बीच बेंगलुरू और मैसूर में महलों के अधिग्रहण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे पूर्व मैसूर राजघराने के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि हमें जारी किए गए नोटिस में यह भी नहीं बताया गया है कि टीडीआर की गणना कैसे की गई. उन्होंने कहा कि विकास प्राधिकरण चाहता है कि हम विकास अधिकार प्रमाण पत्र (डीआरसी) लें, जिसे हमने स्वीकार नहीं किया है.
राजपरिवार के सदस्य का कहना है कि बीड़ीए की ओर से तय की गई कीमत बहुत कम है. जहां इस मामले पर अवमानना की कार्यवाही सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. ऐसे में हम बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे.
कर्नाटक सरकार इतनी जल्दी में क्यों हैं?
मैसूर पैलेस सूत्रों ने दावा किया कि कर्नाटक सरकार ‘सुप्रीम कोर्ट में अवमानना कार्यवाही से बचना चाहती है. इसलिए जल्दबाजी में डीआरसी जारी कर दी है. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में 2021, 2022 और 2023 में तीन अवमानना याचिकाएं दायर की गईं हैं. वहीं, सूत्रों के अनुसार, कोर्ट सरकार से जानना चाहती थी कि क्या उसे चौड़ीकरण के लिए ज़मीन की ज़रूरत है या फिर वह अवमानना का सामना करना चाहेगी. इस पर राज्य मंत्रिमंडल ने अवमानना से बचने के लिए चौड़ीकरण का काम शुरू करने का फ़ैसला किया.
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