Naari Shakti: देश की पहली महिला आईपीएस बनी थीं किरण बेदी, साबित किया कि पुरुषों से कम नहीं महिलाएं
किरण बेदी देश की बेटियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. पुलिस सेवा में पहली बार उनके चयन के बाद देश की तमाम बेटियों ने उनसे प्रभावित होकर सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की
Independence Day 2022 : किरण बेदी के नाम से आज पूरा देश परिचित है. उन्होंने आज जो भी मुकाम हासिल किया है वो ना सिर्फ नारी शक्ति को दर्शाता है बल्कि इससे देश की बेटियों को प्रेरणा भी मिली. देश की पहली आईपीएस बनकर के बाद उन्होंने उस सोच को तोड़ा था जिसके तहत ये धारणा बनी हुई थी कि इस पद पर महिलाओं का चयन मुश्किल है. उन्होंने ना सिर्फ इस धारणा को तोड़ा बल्कि उस दौर में ही अपने बेहतरीन काम से यह साबित भी कर दिया कि देश की बेटियां किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं. अपने इस आर्टिकल में हम किरण बेदी की उपलब्धियों पर बात करेंगे-
किरण बेदी के बारे में-
वह एक संपन्न पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनका जन्म 9 जून 1949 को अमृतसर में हुआ था. उनके पिता का नाम प्रकाश लाल पेशावरिया और मां प्रेमलता पेशावरिया थीं. अमृतसर में अपनी शुरूआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई पूरी की.अमृतसर के खालसा कॉलेज फॉर विमेन उन्होंने लेक्चरर के तौर पर अपनी सेवाएं दीं. इसी बीच 1972 में भारतीय पुलिस सेवा के लिए उनका चयन हो गया. यह उस दौर की बात है जब भारत में महिलाओं का प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से सिविल सेवा की परीक्षा में चयन के बारे में लोग सोचते भी नहीं थे. महिलाओं को सिर्फ घरेलू कामों तक ही सीमित माना जाता था. लेकिन देश की पहली महिला आईपीएस के तौर पर चयनित होकर किरण बेदी इस धारणओं को तोड़ने में सफल रहीं.
बहुत प्रभावशाली रहा कार्यकाल-
उन्होंने आईपीएस बनने के बाद बहुत ही बेहतरीन काम किया. अपने कार्यकाल के दौरान वो कड़े फैसले लेने से भी बिल्कुल नहीं हिचकिचाईं. उनके तमाम कठोर निर्णयों का आज भी उदाहरण दिया जाता है. उन्होंने इस दौरान तमाम सुधारवादी काम भी किए. जिसके चलते 1994 में एशिया का नोबेल कहा जाने वाला 'रेमन मैग्सेसे' पुरस्कार उन्हें दिया गया. उन्होंने नशे की रोकथाम के लिए भी व्यापक अभियान चलाया था. इसके अलावा उनकी सेवा के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया. साल 2007 में उन्होंने अपनी सेवाओं से स्वैच्छिक रूप से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वह पूरी तरह से समाज सेवा के काम में लग गईं. 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे द्वारा किए गए आंदोलन में वह प्रमुख नेताओं में थीं. बाद में उन्होंने भाजपा के साथ राजनीतिक सफर का रास्ता चुना. वह पुडुचेरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर के पद पर भी रहीं.
देश की बेटियों की प्रेरणा है किरण बेदी -
किरण बेदी देश की बेटियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. पुलिस सेवा में पहली बार उनके चयन के बाद देश की तमाम बेटियों ने उनसे प्रभावित होकर सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की. ना सिर्फ बेटियों का भारतीय पुलिस सेवा में चयन हुआ बल्कि उन्होंने अपने बेहतरीन कामों से यह भी साबित कर दिया कि देश की नारी किसी से कम नहीं है.
हर क्षेत्र में नारियों का दबदबा-
भारत की नारी शक्ति का दबदबा आज हर क्षेत्र में है. चाहे खेल की बात हो,विज्ञान का क्षेत्र हो,शिक्षा का क्षेत्र हो या भी सेना में. देश की बेटियां हर जगह नाम रोशन कर रही हैं और भारत के विकास में अपना योगदान दे रही हैं.
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